भोपाल। दतिया कलेक्टर ने इंजीनियर को थप्पड़ मारा, थप्प्ड़ की गूंज भोपाल तक पहुंची। प्रदर्शन शुरू हुआ परंतु आईएएस लॉबी कलेक्टर के फेवर में आ खड़ी हुई। इंजीनियर्स भी एकजुट हैं लेकिन उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं। मुख्य सचिव ने भी उनकी मांगों पर विचार नहीं किया। इस बीच कलेक्टर का माफी वाला आडियो वायरल हो गया। इस आडियो सो साफ हो गया है कि कलेक्टर ने थप्पड़ मारा था और वो इसे स्वीकार कर रहे हैं।
कलेक्टर-ईई की बातचीत का ब्यौरा
कलेक्टर: जब अपनी बात हो गई तो क्यों शिकायत कर रहे हो। बात ऊपर तक जा रही है। क्यों इश्यू बना रहे हो।
ईई: सॉरी सर मुझसे गलती हो गई, मैंने आपकी शिकायत नहीं की है, मैं यहां नया आदमी हूं। बीएंडआर में पहली बार ईई बना हूं। लेकिन यहां नौकरी नहीं कर पाऊंगा। गलती हुई तो माफी मांग रहा हूं। मैं यहां से चला जाऊंगा। यदि आपको दिक्कत है। यहां से हटना चाहता हूं। मैंने तो अपने अधिकारी को बताया था।
कलेक्टर: हम आपके साथ हैं,आप काम तो करो। आरईएस हमको कुछ देता है क्या। काम कर देता है बस खुशी हो जाती है। आपका कोई सब-आर्डिनेट आपको मना कर दे तो आपको गुस्सा नहीं आएगा क्या। तुम हर बार मना कर देते हो। सब जगह कह रहे हो कि मैंने आपको मारा, पत्रकार बता रहे हैं मुझे।
ईई: मैंने काम के लिए मना कहां किया, वह तो सोहन गुप्ता(उपयंत्री) मना कर रहा था।
कलेक्टर: मैंने तो कहा था कि जाने दो, जो बात हो गई लेकिन एसपी साहब कह रहे थे कि बुक कर दो, नहीं तो बाद में नाटक करेगा।
ईई: मुझे दो घंटे तक थाने में बैठकर रखा, एफआईआर की धमकी दी, बेइज्जती की।
कलेक्टर: अरे आप तो आधे घंटे में मेरे पास आ गए थे। एसपी नाराज था। जो हुआ वह क्षणिक था। सोहन गुप्ता से बात करो मेरे बारे में। मेरा नेचर ऐसा नहीं है। तुम उससे बात करो, मैं दो मिनट बात फिर लगाता हूं।
(दो मिनट बाद)
कलेक्टर : हैलो आपने पूछा, क्या बोल रहा है। वह तो क्षणिक गुस्सा आ गया था। किसी से भी पूछ लो, गुप्ता मेरे साथ सवा साल से घर पर काम कर रहा है। मैंने उससे कहा था न, वह क्या कहते हैं सोप टांगने वाला, वह आज तक नहीं लगा। पंद्रह बीस दिन हो गए। क्या मैं गुस्सा हुआ। चलता रहता है सरकारी काम है, या पर्सनल काम है।
ईई: लेकिन आपने सबके सामने मारपीट कर दी वह अच्छा नहीं हुआ, मेरी भी क्लास वन पोस्ट है।
कलेक्टर: अरे यार बोल तो रहा हूं, वह क्षणिक गुस्सा हो गया तो हो गया। एसपी साहब नाराज हुए तो मुझे भी गुस्सा आ गया। तुम अपनी इज्जत खराब करा रहे हो। गाली मेरे मुंह से नहीं निकलती, हां साले शब्द मेरे मुंह से जरूर निकलता है। क्षणिक गुस्सा होता हूं लेकिन प्यार ज्यादा करता हूं। मुझे बहुत खराब लगा है। अपने चपरासी-बाबुओं के साथ भी ऐसा क्यों हो। सबके सामने ऐसा हो जाता है, लगता है प्रशासन का कोई महत्व नहीं है।
ईई: नहीं सर मैं आपसे माफी मांगता हूं, कार्यशैली गलत थी तो आप शासन को लिख देते। मैं तो यहां आना ही नहीं चाहता था। मैंने सिर्फ अपने ईएनसी से बात की है।
कलेक्टर: मैं भी तो कह रहा हूं। जो हो गया, हो गया। मैं भी सार्वजनिक रुप से माफी मांगने को तैयार हूं। दतिया कौन आना चाहता है, मेरा बस चलता तो आता क्या। आज मेरा मूड खराब हो गया। तीन रोटी खाता था, एक ही खाई, क्योंकि दवा ले ली थी। आपके ईएनसी अखिलेश अग्रवाल से मेरा भी परिचय है। आप तो यह बताओ कि आप इस इश्यू पर क्या चाहते हो। क्या मैं कह रहा हूं कि सही हुआ। मैं चाहता हूं कि आप अपने ईएनसी से कह दो कि जो हुआ अब खत्म करो। यदि मन हो तो ही कहना।
ईई: वो अभी सो गए होंगे, कहने का प्रयास करूंगा।