लखनऊ। पिता दिहाड़ी सफाई कर्मचारी हैं। घर में सुविधा क्या दो वक्त की रोटी भी ठीक से नहीं मिलती, फिर भी 15 साल की उम्र में सुषमा ने माइक्रोबायलॉजी से एमएससी पास कर लिया। अब पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है।
सुषमा वर्मा देश में इतनी कम उम्र में एमएससी और अब पीएचडी स्तर की पढ़ाई करने वाली पहली स्टूडेंट बन गई हैं। लोगों को यह जान कर हैरानी होती है कि 7 साल की उम्र में जब ज्यादातर बच्चों को घंटे भर बैठकर पढ़ना बड़ी मुसीबत लगती है, तब सुषमा वर्मा ने अपनी 10वीं पास कर ली थी। इसके बाद 13 साल की उम्र में उन्होंने कॉलेज में दाखिला ले लिया।
सुषमा के पिता 51 वर्षीय तेज बहादुर एक समय दिहाड़ी पर सफाई करने का काम करते थे। परिवार की आर्थिक हालत खराब थी, स्कूल में कई बार फीस भरने के पैसे नहीं होते थे, लेकिन बेटी की लगन को देखकर उन्होंने हमेशा उसे प्रोत्साहित किया और फिर एक दिन बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ के वीसी डॉ. आरसी सोबती उनके लिए मसीहा की तरह बनकर आए।
डॉ. सोबती को जब पता चला कि सुषमा कितनी प्रतिभाशाली बच्ची है तो उन्होंने तेज बहादुर को यूनिविर्सिटी के अंदर सेनिटेशन सुपरवाइजर की नौकरी दे दी। इससे उन्हें काफी आर्थिक मदद मिली। तेज बहादुर कहते हैं, मेरी बेटी सचमुच ईश्वर का करिश्मा है, और जब लोग उसके बारे में चर्चा करते हैं तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
तेज बहादुर के परिवार में बेटी सुषमा के अलावा बेटा शैलेन्द्र भी अनोखी प्रतिभा का धनी है। उन्हें 14 साल की उम्र में देश का सर्वाधिक युवा कम्प्यूटर साइंस ग्रेजुएट होने का गौरव हासिल है।
