यह देश है बिचौलियों का

राकेश दुबे@प्रतिदिन। अजब देश है मेरा पहले शेयर बाजार में गिरावट आती है, यह लोग सरकार के इस्तीफे मांगने लगते है। पिछले कुछ दिनों से शेयर बाजार में हाहाकार मचा हुआ है और मौजूदा सरकार की समझ में ही नहीं आ रहा है कि गड़बड़ कहाँ हैं? सेंसेक्स लगातार गिर रहा है। 

हालांकि सरकार की ओर से कहा जाता है कि सारी दुनिया में महंगाई है लेकिन यह सच नहीं है। भारत इकलौता ऐसा विकासशील देश है जहां कीमतें बढ़ रही हैं। पूरी दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही है। कच्चे तेल की कीमत घट रही है, लेकिन यहाँ महंगाई बढ़  रही है। यह सत्ताधारी पार्टी की असफलता का सबूत है। 

खाने के सामान की जो कीमतें बढ़ रही हैं उसके लिए बड़ी कंपनियां जिम्मेदार हैं। राजनीतिक पार्टियों को मोटा चंदा देने वाली लगभग सभी पूंजीपति घराने उपभोक्ता चीजो के बाजार में हैं| खराब फसल की वजह से होने वाली कमी को यह घराने और भी विकराल करे दे रहे हैं, क्योंकि उनके पास जमाखोरी करने की आर्थिक ताकत है। 

उनके पैसे से चुनाव लडऩे वाली पार्टियों के नेताओं की हैसियत नहीं है कि उनकी जमाखोरी और मुनाफाखोरी पर कुछ बोल सकें। जब केंद्र सरकार ने मुक्त बाजार की अर्थव्यवस्था की बात शुरू की थी तो सही आर्थिक सोच वाले लोगों ने चेतावनी दी थी कि ऐसा करने से देश पैसे वालों के रहमोकरम पर रह जाएगा और मध्य वर्ग को हर तरफ से पिसना पडेगा।

आज भी महंगाई घटाने का एक ही तरीका है कि केंद्र और राज्य सरकारें राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाएं और कालाबाजारियों और जमाखोरों के खिलाफ जबरदस्त अभियान चलायें। सच्ची बात यह है कि जब बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था के विकास की योजना बना कर देश का आर्थिक विकास किया जा रहा हो तो कीमतों के बढऩे पर सरकारी दखल की बात असंभव होती है। 

एक तरह से पूंजीपति वर्ग की कृपा पर देश की जनता को छोड़ दिया गया है। अब उनकी जो भी इच्छा होगी उसे करने के लिए वे स्वतंत्र हैं। करोड़ों रुपये चुनाव में खर्च करने वाले नेताओं के लिए यह बहुत ही कठिन फैसला होगा कि जमाखोरों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकें।

इसे देश का दुर्भाग्य ही माना जाएगा कि शहरी मध्यवर्ग के लिए हर चीज महंगी है लेकिन इसे पैदा करने वाले किसान को उसकी वाजिब कीमत नहीं मिल रही है। किसान से जो कुछ भी सरकार खरीद रही है उसका लागत मूल्य भी नहीं दे रही है। किसान को उसकी लागत नहीं मिल रही है और शहर का उपभोक्ता कई गुना ज्यादा कीमत दे रहा है। 

इसका मतलब यह हुआ कि बिचौलिया मजे ले रहा है। किसान और शहरी मध्यवर्ग की मेहनत का एक के बाद एक हिस्सा वह हड़प रहा है। और यह बिचौलिया गल्लामंडी में बैठा कोई आढ़ती नहीं है। वह देश का सबसे बड़ा पूंजीपति भी हो सकता है। 

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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