अफसरों ने लोकपाल कानून को ही उलझा दिया

भोपाल। आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों ने तो मप्र के लोकपाल कानून को ही उलझाकर रख दिया। मामला अपने परिवाजनों की संपत्ति का खुलासा करने का है। अफसरों ने ऐसे सवाल किए कि कानून ही उलझ गया।

अफसरों द्वारा डीओपीटी के उपसचिव से जो सवाल किए गए, उनमें से अधिकांश के वे जवाब नहीं दे पाए। प्रदेश के अफसरों का कहना है कि संविधान में पत्नी के अधिकार अलग हैं। सिर्फ किसी आईएएस से शादी कर लेने से ही उनके मौलिक अधिकार खत्म नहीं हो जाते। ऐसे हालात में पति के संपत्ति विवरण में पत्नी को उसकी जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इस तरह के तमाम सवाल उठने के बाद डीओपीटी भी उस संबंध में पुनर्विचार करने का सुझाव केंद्र सरकार को दे सकती है।

संभावना है कि अफसरों की संपत्ति सार्वजनिक करने के मामले में भी केंद्र सरकार कुछ राहत दे, साथ ही सूत्र बताते हैं कि परिजनों की संपत्ति बताने से भी राहत मिल सकती है। मंत्रालय में दो दिनों से संपत्ति विवरण को लेकर भारी कश्मकश है। प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने डीओपीटी के अफसरों से सवाल किया था कि कोई भी सरकारी अधिकारी अपनी पत्नी या पति के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं कर सकता है। वह कानूनन उसे उनकी व्यक्तिगत संपत्ति की जानकारी देने के लिए बाध्य भी नहीं कर सकता है। ऐसे हालात में क्या किया जाए?

इस पर डीओपीटी अफसरों ने कहा था कि चाहे तो पति या पत्नी इसे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, पर लोकपाल कानून में इस बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव श्रीवास्तव ने नवदुनिया से कहा कि सोमवार को मंत्रालय में डीओपीटी के अधिकारियों के साथ बैठक में उन्होंने जो भी सैद्धांतिक और तार्किक सवाल उठाए थे, वे व्यक्तिगत न होकर लोकपाल कानून की खामियों से जुड़े थे। सभी सवालों का आशय संबंधित अफसरों के सामूहिक सरोकारों को लेकर था और वे डीओपीटी से इन्हीं सवालों का समाधान चाहते थे। उन्होंने कहा कि ये संवैधानिक अधिकारों का मसला है, पर इसे व्यक्तिगत बना देना दुर्भाग्यपूर्ण है।

आईएएस अफसरों ने एक और सवाल किया था कि जब मध्यप्रदेश में पहले से ही लोकायुक्त संगठन काम कर रहा है तो यहां लोकपाल अधिनियम कैसे प्रभावी हो सकता है। उस सवाल पर भी डीओपीटी के अफसरों ने कहा था कि वे विभाग से मशविरा कर जवाब देंगे। अधिकारियों ने यह भी सवाल उठाया था कि लोकपाल कानून सिर्फ उन अफसरों पर ही लागू होगा जो या तो केंद्र सरकार के अधीन काम कर रहे हैं या कभी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति में पदस्थ रहे हों। प्रदेश के अफसरों ने कहा कि अधिनियम की धारा 14 में लोकसेवकों की 8 श्रेणियां दी गईं हैं। इसके अलावा अन्य किसी अफसर को इस दायरे में नहीं लाया जा सकता है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !