भोपाल। सरकार ने जिस अधिकारी पर भरोसा करके पीएमटी फर्जीवाड़े की जांच सौंपी थी उसी ने सरकार को उल्लू बना दिया। जांच को लम्बा खींचा, लटकाए रखा और गोलमोल रिपोर्ट बनाकर सौंप दी। अब दोबारा जांच के आदेश दिए गए हैं, तो पता चला कि फर्जीवाड़े की फाइलें ही गायब हैं।
सूत्रों ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक एनएम श्रीवास्तव ने काउंसलिंग सूची से मिलान किए बगैर छात्रों का सत्यापन कर निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए अपनी सहमति दे दी थी। इन दो सालों में करीब 15 ऐसे छात्रों के नाम सामने आए, जो न तो काउंसलिंग में शामिल हुए थे और न ही मैरिट सूची में उनका नाम था। इसके बावजूद उन्हें स्टेट कोटे की सीट से निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिया गया है। इस मामले में संयुक्त संचालक सीधे दोषी प्रतीत हो रहे हैं लेकिन चिकित्सा शिक्षा संचालक ने अपनी पहली जांच रिपोर्ट में ऐसे कई तथ्यों को स्पष्ट नहीं किया और गोलमोल रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेज दी।
संचालक एसएस कुशवाह ने गोलमोल जांच रिपोर्ट बनाकर पेश कर दी। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव विनोद सेमवाल ने 28 जुलाई 2015 को इस मामले की फिर से जांच करने को कहा। इसके साथ ही समिति के सदस्यों में विभाग के उप सचिव संजीव श्रीवास्तव और उप संचालक डॉ. एके जैन को शामिल किया गया।
हम फाइलें ढूंढ रहे हैं
यह बात सही है कि पिछले एक साल में हमें वर्ष 2009, 2010 और 2011 की कुछ फाईलें नहीं मिल रही हैं। लेकिन अभी हमारा प्रयास जारी है। शायद मिल जाए। इस मामले में हमने वर्ष 2012 और 2013 में गड़बड़ी पाई है। जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपने से पहले मैं कुछ नहीं बता पाऊंगा।
एसएस कुशवाह, संचालक चिकित्सा शिक्षा
