जबलपुर। मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग में बिजली विभाग से जुड़े अधिकारियों की नियुक्ति को जनहित याचिका के जरिए कठघरे में रखा गया है। प्रशासनिक न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस सुशील कुमार गुप्ता की युगलपीठ ने इस मामले में राज्य शासन, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव ऊर्जा, चेयरमैन मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग, एबी बाजपेई, एस सक्सेना, राकेश गुप्ता और गजेन्द्र तिवारी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया गया है। इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है।
जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग अधिनियम की धारा- 25 (5) में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि जिनके हित बिजली विभाग से जुड़े हैं, उन्हें आयोग में स्थान नहीं दिया जाएगा।
एक को पेंशन, तीन प्रतिनियुक्ति पर
जनहित याचिकाकर्ता के मुताबिक मध्यप्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग में सदस्य सचिव व निदेशक के पदों पर जिन्हें स्थान दिया गया उनमें से एक बिजली विभाग से पेंशन प्राप्त कर रहा है, जबकि तीन प्रतिनियुक्ति पर आयोग भेजे गए हैं।
बिजली के रेट तय करने का अधिकार नहीं
बहस के दौरान तर्क दिया गया कि जिनके हित बिजली विभाग से जुड़े हैं, उन्हें बिजली के रेट तय करने का कानूनन अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट आने से पूर्व इस संबंध में लीगल नोटिस भेजा गया था। संतोषजनक जवाब नदारद रहने पर जनहित याचिका दायर कर दी गई।