भोपाल। चप्पल और गमछे वाले शिवराज देखो कॉर्पोरेट हो गए। अब वो अपनी नीतियों, योजनाओं और विकास कार्यों के सहारे नहीं बल्कि प्रचार ऐजेंसियों के सहारे लोकप्रिय होना चाहते हैं। खबर मिली है कि दामन पर लगे व्यापमं के दाग मिटाने के लिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही पब्लिक रिलेशन फर्म Madison World को ठेका दे दिया है। मेड़िसन इंड़िया के चेयरमैन सैम बलसारा ने प्रदेश सरकार के साथ हुए करार के बारे में अभी तक किसी भी प्रकार की अधिकृत जानकारी नही दी है, लेकिन चर्चा है कि 'आॅपरेशन सफाई' शुरू हो गया है।
क्या होती है पब्लिक रिलेशन फर्म
Madison World और इसके जैसी हजारों फर्म बाजार में काम कर रहीं हैं। इन्हे पीआर ऐजेंसी भी कहा जाता है। सामान्यत: ये फर्म कार्पोरेट सेक्टर में काम करती हैं। निरमा, व्हील, रिन, पेप्सोडेंट, कॉलगेट और ऐसे ही तमाम सारे उत्पादों के विज्ञापन अभियान के अलावा उन्हें लोकप्रिय बनाने वाले तमाम आयोजन पीआर ऐजेंसियां ही करतीं हैं। सरल शब्दों में कहें तो अखबारों में इन उत्पादों के बारे में अच्छी अच्छी खबरें छपवाना और नेगेटिव न्यूज को रोकने का काम पीआर ऐजेंसियां करतीं हैं। इसके बदले में वो मीडिया संस्थानों को चुपके से अच्छे अच्छे गिफ्ट पहुंचाया करतीं हैं।
इसे और अधिक सरल शब्दों में बताएं:
यदि मैगी की पीआर ऐजेंसी एक्टिव होती तो मैगी पर बेन नहीं लगता, क्योंकि मीडिया में बवाल ही नहीं मच पाता। ऐसे बहुत सारे उत्पाद हैं जो मैगी से ज्यादा खतरनाक हैं परंतु पीआर ऐजेंसियों ने सब मैनेज कर रखा है।
शिवराज के लिए क्या करेगी ये कंपनी
शिवराज के लिए क्या अभियान चलाया जाएगा यह फिलहाल तो सिर्फ कंपनी और शिवराज के अलावा किसी को नहीं मालूम, लेकिन जैसी की पीआर ऐजेंसियों की फितरत होती है। वो टीवी चैनल, अखबार और सोशल मीडिया के माध्यम से शिवराज की तारीफों के पुल बंधवाने का काम करेगी। सोशल मीडिया पर उसके वेतनभोगी कर्मचारी शिवराज के खिलाफ छपने वाली पोस्ट का विरोध करेंगे, बेतुके कमेंट्स करके ऐसे सोशल मीडिया एक्टिविस्ट को हताश करने का काम करेंगे जो शिवराज को नुक्सान पहुंचाते हों। वैसे यह काम भाजपा के कई कार्यकर्ता मुफ्त में कर रहे थे, परंतु अब वेतनभोगी कर्मचारी भी करेंगे।
तो फिर जनसंपर्क विभाग क्या करेगा
शिवराज की ब्रांड बिल्डिंग का काम अब तक जनसंपर्क विभाग करता रहा है। हालांकि इस विभाग का मूल काम शासन की योजनाओं एवं नियमों की जानकारी आम नागरिकों तक पहुंचाना है। किसी नेता या मंत्री की ब्रांडिंग करना नहीं, परंतु मप्र में जनसंपर्क विभाग के मायने ही बदल गए थे। यह विभाग शिवराज सिंह की प्रचार शाखा बन गया था। योजनाओं से ज्यादा शिवराज का प्रचार हो रहा था, इसी बीच सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय आ गया और जनसंपर्क विभाग के हाथ बंध गए। इसीलिए यह तोड़ निकाला गया। भविष्य में जनसंपर्क विभाग केवल पीआर ऐजेंसियों की हायरिंग का काम करेगा।
नेगेटिव न्यूज कैसे मैनेज होंगी
शिवराज के खिलाफ छपने वाली खबरों को रोकने के लिए यही पीआर फर्म काम करेगी। जनता के बीच लोकप्रिय मीडिया संस्थानों के मालिकों के पास गिफ्ट पहुंचाए जांएंगे। अंडर टेबल डीलिंग होगी। पेडन्यूज सिस्टम भी चल सकता है। कुछ इस तरह की ब्लेकमेलिंग जनसंपर्क विभाग भी करता है। जो संस्थान शिवराज की चापलूसी नहीं करते, उन्हें सरकारी विज्ञापन नहीं दिए जाते।
लव्वोलुआब क्या
खेतों और गांव की गलियों में पांव पांच यात्रा करने वाले शिवराज सिंह चौहान को अब बड़े बड़े फोटो छपवाने की लत लग गई है। पहले यह सारे काम जनसंपर्क विभाग की ओर से कराए जाते थे परंतु अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी तो पीआर एजेंसी हायर कर ली गई है। जनसंपर्क विभाग के अपने दायरे हुआ करते थे, लेकिन पीआर ऐजेंसी तो स्वतंत्र है, टारगेट अचीव करने के लिए किसी भी तरह का केंपेन प्लान कर सकती है।
देखना रोचक होगा कि शिवराज की पेड मीडिया के विरुद्ध कंगाल कांग्रेस कैसे मुकाबला कर पाएगी और क्या मप्र की मीडिया अपनी निपक्षता बरकरार रख पाएगी।