ग्वालियर। स्कूल स्टूडेंट हों या कॉलेज बॉय वो अनजान लड़कियों से अश्लील हरकतें नहीं करते। यह निष्कर्ष निर्भया की एक एक्सरसाइज में निकलकर आया।
लक्ष्मीबाई कॉलोनी में काफी संख्या में कोचिंग सेंटर संचालित हैं। सुबह-शाम काफी संख्या में छात्राएं अध्ययन करने के लिए यहां आती हैं। शिकायत मिली थी कि कॉलोनी के गेट पर शरारती तत्व जमा हो जाते हैं। यह मनचले युवक छात्राओं को देखकर कमेंट्स करते हैं और छात्राओं के साथ हरकत करने से भी नहीं चूकते हैं। इस तरह की शिकायतें मिलने के बाद निर्भया टीम ने शरारती तत्वों को पकड़ने के लिए योजना बनाई।
निर्भया टीम ने महिला सिपाहियों को ही छात्राओं की वेशभूषा में खड़ा कर दिया। इनके आसपास निर्भया टीम खड़ी हो गई। काफी देर तक निर्भया टीम खड़ी रही, लेकिन किसी शरारती तत्व ने कमेंट्स तक नहीं किया।
निष्कर्ष निकलकर आया कि लड़के उन्हीं लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें करते हैं जिन्हे वो जानते हैं। कई मामलों में लड़कियां खुद भी इस तरह की हरकतें करतीं हैं कि लड़के उनके साथ अश्लीलता पर उतर आते हैं। निर्भया टीम की लड़कियों को वहां से गुजरने वाले लड़के पहचानते ही नहीं थे, वो कोई ऐसी वैसी हरकतें भी नहीं कर रहीं थीं इसलिए लड़कों ने भी उन्हें कुछ नहीं बोला।
सोचा कुछ और था
प्रीति भार्गव, इंस्पेक्टर एवं निर्भया टीम की प्रभारी ने प्लानिंग कुछ और ही की थी। वो शनिवार को अखबारों में फ्रंट पेज की स्टोरी देने की प्लानिंग पर काम कर रहीं थीं। उन्होंने इस आॅपरेशन में मीडिया के कैमरों को भी शामिल किया था। वो छुपकर सबकुछ कवर कर रहे थे। टारगेट था मनचलों की लाइव धरपकड़ और खुद को लेडी सिंघम का नया एडीशन प्रमाणित करना, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
होना क्या चाहिए
होना यह चाहिए कि निर्भया जैसी टीमें लड़कों में लड़कियों के प्रति सम्मान का भाव जगाने के लिए काम करें। ऐसा माहौल पैदा करें कि लड़के ना केवल खुद लड़कियों के साथ शराफत से पेश आएं बल्कि यदि कोई दूसरा लड़का अश्लील हरकत करे तो उसका विरोध भी करे, परंतु क्या करें, फिल्मों ने माहोल ही बदल दिया है। सबको सिंघम बनने की पड़ी है।