तो क्या जमीन से फूटपड़ीं थी सुनामी की लहरें: रेलहादसा, रहस्य बरकरार

भोपाल। हरदा रेल हादसे के तत्काल बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने जिस तेजी के साथ समन्वय स्थापित कर एक दूसरे बचाव किया था, अधिकारियों ने उसी तेजी के साथ एक दूसरे की पोल खोल दी। रेल अधिकारियों का कहना है कि बांध का पानी छोड़ने के कारण रेल ट्रेक पर अचानक पानी आ गया था, जबकि हरदा कलेक्टर ने शासन को भेजी रिपोर्ट में बताया है कि बांध का पानी छोड़ा ही नहीं गया। नदी भी ओवरफ्लो नहीं हुई और बारिश भी इतनी नहीं हुई कि बवाल मचा पाती। अब सवाल यह है कि तो फिर रेलवे ट्रेक पर अचानक पानी आया कहां से ? क्या जमीन से फूट पड़ी थी सुनामी की लहरें, जो एक साथ 2 ट्रेनों को बहा ले गईं।

डेम नहीं फूटा
हरदा-खंडवा रेलवे ट्रैक के 4 अगस्त की रात जलमग्न होने का मामला गहराता जा रहा है। रेलवे विभाग व स्थानीय प्रशासन अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका है। पहले कयास थे कि आमाखाल व इमलीढाना डेम के फूटने से ट्रैक डूबा। हरदा कलेक्टर की शासन को भेजी रिपोर्ट ने इस कयास का झुठला दिया है। कलेक्टर ने डेम सुरक्षित होने व पानी नहीं छोड़ने की रिपोर्ट दी है।

गेट नहीं खोले, बारिश भी तेज नहीं थी
इंदिरा सागर बांध का पानी भी इस स्तर तक नहीं पहुंचा है कि उसके गेट खोलने पड़े हों। रहा सवाल तेज बारिश का तो इलाके में इससे पहले भी भारी बारिश हो चुकी है लेकिन ऐसी स्थिति नहीं बनी। माचक नदी के 100 साल के इतिहास में भी पुल तक कभी पानी नहीं पहुंचा। अब सवाल यही उठता है कि आखिर काली माचक में इतना पानी कहां से आया? 5 अगस्त की सुबह 8 बजे तक हरदा में कुल 162.9 मिमी बारिश हुई थी। इसमें हरदा में 123.9, टिमरनी में 85.6 मिमी और खिरकिया में 279.4 मिमी थी। इतनी बारिश में रेलवे ट्रैक क्षतिग्रस्त हो जाएं इसकी गुजांइश कम ही है।

हरदा जिले में 8 अगस्त तक 785.1 मिमी बारिश हुई थी। जबकि 2012 में 8 अगस्त तक 1298.2 मिमी। 2013 में भी 1130.0 मिमी बारिश दर्ज हो गई थी लेकिन फिर भी पानी ओवर नहीं हुआ लेकिन इस बार कम बारिश में ही नदी उफन कर ट्रैक और उस पर खड़ी बोगियों के 2 मीटर ऊपर से निकल गई। पटरी से सटे मांदला, मुहालकला व नीमसराय के लोगों के मुताबिक नदी में इतना पानी कभी नहीं आया। जिला प्रशासन ने राज्य शासन को जो रिपोर्ट भेजी है। उसमें सिर्फ बांधों से जुड़े मामले का ही जिक्र है। अधिक बारिश की स्थिति से पटरी पर पानी पहुंचने की कोई जानकारी नहीं दी है। एेसे में या तो स्थानीय प्रशासन बांधों से पानी छोड़ने संबंधी बात पर गुमराह कर रहा है या फिर रेल विभाग अपनी लापरवाही से मुंह मोड़ना चाहता है।

किस्सा 8 मिनट का
कामायनी व जनता एक्सप्रेस के हादसे का शिकार होने के 8 मिनट पहले ही पुल से पवन एक्सप्रेस गुजरी थी। उसके दस मिनट पहले मालगाड़ी तब ट्रैक पर पानी नहीं था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर ऐसी कैसी बारिश हो गई कि 8 मिनट में ही ट्रैक और बोगियां डूब गईं। बहाव भी इतना तेज रहा कि लोग बह गए। यह सवाल लोगों के मन में उठ रहा है लेकिन रेल विभाग और स्थानीय प्रशासन रहस्य से पर्दा नहीं उठा रहा।
If you have any question, do a Google search

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!