संजीव चौधरी/नई दिल्ली। पेट्रोल पंप खोलने की चाहत रखने वालों के लिए खुशखबरी है। ऐसे लोग अब अपनी पसंद की जगह पर पेट्रोल पंप खोल पाएंगे। उन्हें इसके लिए लकी ड्रॉ में शामिल नहीं होना पड़ेगा। सरकार ऐसे प्रपोजल पर विचार कर रही है, जिसमें सरकारी फ्यूल रिटेलर्स को पंप खोलने की इच्छा रखने वाले किसी भी शख्स को इसे एलोकेट करने की आजादी दिए जाने की बात की गई है।
यह ऐसा कदम है, जिससे इस सेक्टर में बड़ा बदलाव आ सकता है। इससे पेट्रोल पंप एलोकेशन में धांधली को रोकने में भी मदद मिलेगी। इससे भी ज्यादा बड़ी बात यह है कि इस कदम से सरकारी तेल कंपनियों को रिलायंस इंडस्ट्रीज और एस्सार ऑयल जैसी प्राइवेट कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करने में भी मदद मिलेगी, जो फ्यूल सब्सिडी खत्म होने के बाद ऑयल डिस्ट्रीब्यूशन बिजनेस को बढ़ाने में जुटी हैं।
सूत्रों ने बताया कि सरकारी अधिकारी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प (HPCL) और भारत पेट्रोलियम कॉर्प (BPCL) के एग्जिक्यूटिव्स से इस हफ्ते मुलाकात कर इस प्लान के ब्योरों पर काम करेंगे। प्रपोजल के मुताबिक, डीलरशिप की इच्छा रखने वाला कोई भी शख्स इसके लिए कभी भी अप्लाई कर सकता है और फिलिंग स्टेशन खोलने से संबंधित सभी जरूरी इनवेस्टमेंट को करने के बाद उसे जल्द से जल्द पेट्रोल पंप एलोकेट कर दिया जाएगा।
एक सरकारी फ्यूल रिटेलर के सीनियर एग्जिक्यूटिव ने बताया, 'प्राइवेट कॉम्पिटिशन से मुकाबला करने में अब हमारे हाथ बंधे नहीं रहेंगे।' अभी सरकारी कंपनियों के लिए करीब आधे पंप डीलर्स बैकवर्ड क्लास से चुनना अनिवार्य है। एक फैमिली के एक ही मेंबर को डीलरशिप मिल सकती है। इससे पंप एलोकेशन प्रोसेस काफी जटिल हो जाता है और इसमें राजनीतिक दखलंदाजी की आशंका भी बनी रहती है।
सरकारी तेल कंपनियां उस वक्त को नहीं भूली हैं, जब एक दशक पहले प्राइवेट कंपनियों ने एंट्री के महज एक साल के अंदर डीजल सेल्स का करीब 15 फीसदी हिस्सा उनसे छीन लिया था। इसकी मुख्य वजह टेक्नोलॉजी का जबरदस्त इस्तेमाल, बढ़िया सर्विस और डीलर्स पर पूरा कंट्रोल था। इसी वजह से सरकारी कंपनियां केंद्र से प्राइवेट कंपनियों से जंग में पूरी आजादी की मांग कर रही हैं।
एक एग्जिक्यूटिव ने कहा, 'हमारा डिस्ट्रीब्यूटर्स पर कोई कंट्रोल नहीं है। हम हमेशा इस डर में रहते हैं कि अगर हम किसी डीलर को हटाते हैं तो मार्केट शेयर कॉम्पिटिटर के पास जा सकता है। हम इसे तेजी से रिकवर नहीं कर सकते हैं क्योंकि रिप्लेसमेंट में लंबा वक्त लगता है।' सरकार ने IOC, HPCL और BPCL में हर साल 10 फीसदी ऑटोमेशन को अनिवार्य कर दिया है।