जबलपुर। धान घोटाले को उजागर करने वाले व्हिसल ब्लोअर एवं वेयर हाउस शाखा प्रबंधक सुरेन्द्र शाक्य की मौत के मामले में शहपुरा थाना प्रभारी शोभना मिश्रा की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने खुद को ईमानदार जताने की कोशिश करते हुए दलीलें भी दीं हैं। शेष चर्चा से पूर्व पढ़िए क्या कहा शहपुरा थाना प्रभारी शोभना मिश्रा ने:
29 जुलाई से इस मामले में चुप्पी साधकर बैठीं शहपुरा थाना प्रभारी शोभना मिश्रा ने सोमवार की रात सुरेन्द्र कुमार शाक्य की मौत और उनके सुसाइड नोट पर खुलकर चर्चा की। श्रीमती मिश्रा ने बताया कि मर्ग जांच के चलते एमडी दुबे और आरएम कुशवाहा के नाम उजागर नहीं किए जा रहे थे। श्रीमती मिश्रा ने बताया कि सुसाइड नोट के आधार पर मप्र वेयर हाउस लाजिस्टिक के एमडी चंद्रहास दुबे और आरएम के कथन लिए गए थे। जिसमें श्री दुबे ने कहा था कि वे सुरेन्द्र कुमार शाक्य को न तो पहचानते थे न ही उनसे कभी मुलाकात हुई थी। घोटाला उजागर होने के बाद पुलिस ने जो एफआईआर की थी उसका पत्र उन्हें मिला था। जिसके संबंध में उन्होंने विभागीय जांच कराई जिसमें पाया गया कि जिन वेयर हाउसों से 54 हजार क्विंटल धान गायब होने की बात कही गई थी, उसमें शाखा प्रबंधक को हर 15 दिन में खुद जाकर भौतिक सत्यापन करना चाहिए था लेकिन सुरेन्द्र कुमार शाक्य ने विगत 8 माह से कोई निरीक्षण या सत्यापन नहीं किया था। लिहाजा एमडी दुबे ने क्षेत्रीय प्रबंधक को निर्देश दिए थे कि वे धान घोटाले में लापरवाही बरतने के आरोप में सुरेन्द्र कुमार शाक्य के खिलाफ भी आपराधिक प्रकरण दर्ज कराएं। लिहाजा एमडी दुबे के पत्र पर क्षेत्रीय प्रबंधक ओपी कुशवाहा ने भी पुलिस से सुरेन्द्र कुमार शाक्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की अनुशंसा की थी।
अधिकारियों ने उसे प्रताड़ित नहीं किया
श्रीमती मिश्रा के अनुसार सम्पूर्ण जांच और कथनों के आधार पर पूर्व में आरोपी बनाए गए वेयर हाउस के संचालक संदीप सोनी, नरेन्द्र तोमर, विमल जैन और मोनू जैन द्वारा सुरेन्द्र कुमार शाक्य को प्रताड़ित किए जाने की बात सामने आई लेकिन एमडी मिश्रा और आरएम कुशवाहा द्वारा किसी तरह की प्रताड़ना देने की बात साबित नहीं हुई। लिहाजा उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है।
अब पढ़िए व्हिसल ब्लोअर के सुसाइड नोट का एक अंश:
मैंने तो सालों से चल रहे फर्जीवाड़े के कारण विभाग हो रहे नुकसान से बचाने के लिए इतना बड़ा घोटाला उजागर किया था। लेकिन विभाग के एमडी चंद्रहास दुबे और क्षेत्रीय प्रबंधक ओपी कुशवाहा ने आरोपियों से मिलीभगत करके मुझे परेशान करना शुरू कर दिया है। मेरे अधिकारी मुझे झूठे प्रकरण में फंसाने की साजिश कर रहे हैं इसलिए मैं परेशान हूं और अब जिंदा नहीं रहना चाहता।
अनसुलझे सवाल
सुसाइड नोट में सुरेन्द्र कुमार शाक्य से ने स्पष्ट रूप से अधिकारियों पर प्रताड़ित करने और इसी प्रताड़ना के कारण आत्महत्या करने की बात कही है, फिर पुलिस की स्पेशल इंवेस्टिगेशन में उन्हें निर्दोष क्यों मान लिया गया और यह जांच भी एफआईआर दर्ज करने से पहले कर ली गई, जबकि नियमानुसार एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच होनी चाहिए थी।
अधिकारियों ने खुद अपने बयान में स्वीकार किया है कि उन्होंने धान घोटाले को उजागर करने वाले सुरेन्द्र कुमार शाक्य के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए थे। क्या यह प्रमाण काफी नहीं है कि अधिकारी घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए घोटाले का खुलासा करने वाले के पीछे पड़े थे।