सूचना मिल गई थी, रोका जा सकता था रेल हादसा

भोपाल। हरदा का रेल हादसा अचानक नहीं हुआ। इसकी चेतावनी 4 घंटे पहले रेलवे कंट्रोल रूम को दे दी गई थी परंतु अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। रेल यातायात रोकना तो दूर उन्होंने चेतावनी की पुष्टि और गंभीरता पर भी ध्यान नहीं दिया। इसी लापरवाही का नतीजा रहा हरदा का रेल हादसा।

तेज बारिश के चलते शाम 7 बजे के बाद से यहां पानी पुल तक आ रहा था। हालात खतरनाक थे। एक रेलकर्मी ने इसकी सूचना कंट्रोल को दी थी। इसके बाद भी कोई सावधानी नहीं बरती गई। ट्रेन चलाने के पहले अकेला इंजन चलाया जाना चाहिए था, पर वह भी नहीं किया गया।

कामायनी एक्सप्रेस के ड्राइवर अपने बयान में कहा है कि पुल के पहले एक मोड़ (कर्व) है। ट्रेन की स्पीड भी करीब 90 किमी प्रति घंटे तो थी। मोड़ के साथ स्पीड ज्यादा और अंधेरा होने की वजह से पानी दिखा नहीं। पूरी स्पीड से ट्रेन भागती रही। 10 डिब्बे बाहर निकल गए थे। बाकी डिब्बे पटरी से गिर गए और ट्रेन रुक गई। जनता एक्सप्रेस के ड्राइवर ने भी यही कहा है कि उसने पानी नहीं देखा था।

पवन एक्सप्रेस निकली तब भी था पानी
इटारसी के एक रेलकर्मी शाहनवाज हुसैन पहले कामायनी एक्सप्रेस से इटारसी आने वाले थे। उसके पहले पवन आई तो वो इसी से आ गए। उन्होंने बताया कि घटना के स्थल के निकलते समय पवन एक्सप्रेस के पहिए भी थोड़ा-थोड़ा पटरी में डूब रहे थे।

सेफ्टी को लेकर उठे ये सवाल
रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग हर साल नालों और पुलों में फ्लूड लेवल चैक करता है। इसके बाद एक लाल निशान लगाया जाता है, जिससे ट्रेन संचालन से जुड़े कर्मचारियों को इसकी जानकारी हो।

तेज बारिश में पुलों में पेट्रोल मैन तैनात किया जाता है। उसके हाथ में लाल झंडी रहती है। पुल पर पानी होने पर वह ट्रेन को रोक लेता है।

ऐसी जगह पर पी वे इंस्पेक्टर (पीडब्ल्यूआई) इंस्पेक्टर इंजन में चढ़कर निरीक्षण करते हैं। एक इंस्पेक्टर ने बताया कि अनुमति के लिए मंडल कार्यालय में आवेदन पेडिंग रहते हैं। बिना परमीशन हम इंजन में चढ़ नहीं सकते।

अधिकारियों ने कहा मिट्टी का कई दिन से हो रहा होगा, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
पुल से सही तरीके से पानी की निकासी नहीं होने के कारण पानी भरने की आशंका है।
एक ड्राइवर ने बताया कि रेलवे से जो वाकी-टॉकी मिली है, उससे नेटवर्क नहीं मिलता। कई बार तो ड्राइवर और गार्ड के बीच भी बात नहीं हो पाती।

गैर इंजीनियरिंग जीएम की पदस्थापना पर उठे सवाल
पश्चिम मध्य रेलवे के जीएम रमेश चंद्रा रेलवे स्टोर सेवा के अधिकारी हैं। रेलवे के जानकारों ने कहा कि अभी तक सिर्फ इंजीनियरिंग वालों को जीएम बनाया जाता था। स्टोर सेवा के अधिकारियों को फील्ड की जानकारी कम होती है। इसी तरह से पर्सनल और एकाउंट सेवा वालों की पदस्थापना भी जीएम के पद पर नहीं की जाती थी। रमेश चंद्रा स्टोर सेवा वाले पहले जीएम हैं। हाल ही में इटारसी में आरआरआई में आग की घटना भी उन्हीं के कार्यकाल में हुई थी।

कमिश्नर रेलवे सेफ्टी ने किया घटना स्थल का दौरा
साउथ सेंट्रल रेलवे के कमिश्नर रेलवे सेफ्टी दिनेश कुमार सिंह ने हरदा में घटना स्थल का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनता एक्सप्रेस में एसएलआर से जुड़े जनरल कोच में ज्यादा मौते हुई हैं। आखिरी बोगी होने की वजह से वे भाग नहीं पाए। डिब्बे आपस में जुड़े होते तो वे मौते कम हो सकती थीं। वे 11-12 अगस्त को फिर आएंगे और ड्राइवर, गार्ड, टीसी व अन्य कर्मचारियों-अधिकारियों से बात करेंगे।

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