भोपाल। असमय मृत्यु देख देती है और यदि वो जवान होते बेटे की हो तो और भी ज्यादा दुख देती है। लोग बदला देते हैं, बदले का जुनून उनकी जिंदगी बदल देता है। विश्वास घुषे के परिवार ने भी अपने बेटे मंदार की मौत का बदला ले ही लिया। पूरा भोपाल घुषे परिवार के सम्मान में तालियां बजा रहा है।
मामला केरवा डेम के पास स्थित मौत के कुएं का है। यहां सरकार ने एक बोर्ड लगाकर अपना कर्तव्य निभा दिया, लेकिन मौतों का सिलसिला जारी रहा। अब तक 178 लोगों की मौत यहां हो चुकी है। गत 21 मार्च 2015 को 16 साल के एक युवा मंदार घुषे की भी यहीं मौत हो गई।
इस मामले में वनविभाग और मप्र सरकार धिक्कार की पात्र थी परंतु पिता विश्वास घुषे ने ऐसा कुछ नहीं किया। मौत के कुएं से बदला लेने की ठानी। काम शुरू किया और जो काम इतने सालों में सरकार नहीं कर सकी। घुषे परिवार ने कुछ ही महीनों में मात्र 22 लाख की लागत से कर दिखाया। मौत का कुआं ही पूर दिया। अब यहां कोई मौत नहीं होगी।
इस कोशिश ने घुषे परिवार की जिंदगी का लक्ष्य ही बदल दिया। भोपाल में मंदार-एंड-नो-मोर अभियान शुरू हो गया है। जलाशयों में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने और आपात स्थिति में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करने की शुरुआत की जा रही है। इसमें उनका साथ रोटरी क्लब ईस्ट भोपाल और भोपाल मैनेजमेंट एसोसिएशन दे रहे हैं।
अब कलियासोत की बारी
अभियान अभी थमा नहीं है। केरवा का काम पूरा होने के बाद कलियासोत डेम पर भी इसे शुरू किया जाएगा। विश्वास का कहना है कि जलाशयों में होने वाली दुर्घटनाओं को रोककर उन्हें सुरक्षित बनना ही अब उनके जीवन का लक्ष्य है। कलियासोत डेम में भी डूबने की घटनाएं हो रही हैं। यहां फेंसिंग लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि मंदार-एंड-नो-मोर अभियान से रोटरी मंडल 3040 और कोयम्बटूर रोटरी मंडल 3201 जुड़ गया है। ये प्रदेश के पब्लिक सैफ्टी मैनेजमेंट प्लान बनाकर मैदानी स्तर पर उसका क्रियान्वयन करने में मदद करेंगे।