भोपाल। हरदा में हुआ रेल हादसा रेल अधिकारियों का फेलियर है। माचक नदी शाम से ही उफान पर थी। गांव खाली हो गए थे। रेल की पटरियों की हालत कमजोर थी, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। इसी के कारण हादसा हो गया। यदि बारिश में पटरियों के रखरखाव का ध्यान रखा जाता तो हादसा नहीं होता। इस हादसे में कुल कितनी मौतें हुईं अभी तक पता नहीं चल पाया है।
धूपकरण गांव से अनिल झवरे ने शाम 7.30 बजे सूचना दी कि नदी की बाढ़ से धूपकरण, कालकुंड, रोलगांव और मरदानपुर में पानी घुस आया है। यहां के परिवार अपने-अपने घर खाली कर अनाज, कपड़े और पालतू मवेशी सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं। बाढ़ से निबटने के लिए प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किया। जिला प्रशासन ने करीब 5 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट करने का दावा भी किया है।