कुछ नहीं निकलेगा रिजर्व बैंक की स्वायतत्ता खत्म करने से

Bhopal Samachar
राकेश दुबे प्रतिदिन। भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता का सवाल एक बड़ा सवाल है इसके समाप्त होने से रिजर्व बैंक के गवर्नर के हाथ बंध जायेंगे।  अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज की इकनॉमिक रिसर्च विंग ने चेतावनी दी कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता से छेड़छाड़ भारत की आर्थिक संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है। मूडीज की यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब इंडियन फाइनैंशल कोड में संशोधन की कवायद चर्चा में है।

प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक ब्याज दर तय करने के मामले में आरबीआई गवर्नर का एकाधिकार समाप्त कर दिया जाएगा। इस कोड के पुराने स्वरूप में भी ब्याज तय करने का अधिकार पूरी तरह गवर्नर के हाथों में नहीं था। यह काम एक समिति को सौंप दिया गया था, लेकिन गवर्नर को वीटो पावर हासिल था। प्रस्तावित संशोधन अगर स्वीकृत हो जाता है तो ब्याज दरों के बारे में कोई भी फैसला सरकार द्वारा मनोनीत बहुसंख्य सदस्यों वाली समिति ही करेगी। इस बदलाव के पीछे मुख्य भूमिका सरकार और आरबीआई के बीच पिछले कई वर्षों से देखे जा रहे टकराव की है। सरकार हमेशा ब्याज दरें कम से कम रखना चाहती है, ताकि सस्ते कर्ज के दम पर उद्योग और व्यापार में गतिशीलता बढ़ाई जा सके।

लेकिन रिजर्व बैंक का रुख इस मामले में सावधानी बरतने का होता है, ताकि बचत को बढ़ावा मिले और मुद्रास्फीति का स्तर कम से कम रखा जा सके। मंदी के माहौल में वाई वी रेड्डी के जमाने से यह टकराव अपने तीखे रूप में दिखाई पड़ा था और डी सुब्बाराव से लेकर अभी रघुराम राजन के समय तक कभी नरम तो कभी गरम ढंग से यह लगातार जाहिर होता आ रहा है। इसमें कुछ भी अस्वाभाविक इसलिए नहीं है क्योंकि सरकार और रिजर्व बैंक दोनों की जिम्मेदारियां अलग हैं।

एक का जोर गतिशीलता पर होता है, दूसरे का स्थिरता पर। लेकिन दोनों नजरियों में फर्क की सबसे बड़ी वजह यह है कि सरकारों की चिंता हमेशा अगली बार चुन कर आने की हुआ करती है, जबकि केंद्रीय बैंक को सिर्फ चार-पांच साल में मिलने वाली तालियों या गालियों की नहीं, दस साल के लिए जारी बॉन्डों और तीस-चालीस साल लंबी बीमा पॉलिसियों की भी फिक्र करनी होती है। ऐसे में वित्त विशेषज्ञों की यह चिंता वाजिब है कि तेज विकास दर की जरूरत का दबाव कहीं भारतीय अर्थव्यवस्था की धुरी को ही न डगमगा दे। जाहिर है, सरकार को इस मामले में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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