वो पलक झपकते शहीद हो गया, ये 27 साल में जमीन नहीं दे पाए

अनूपपुर। भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा श्रीलंका में भेजी गई शांति सेना में शामिल शहीद बसंत सिंह ने देश की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर करते समय क्षण भर भी नहीं सोचा लेकिन मप्र सरकार इस शहीद के परिवार को नियमानुसार जमीन आवंटित करने में पिछले 27 साल से विचार ही किए जा रही है।

शहीद बसंत सिंह वह नाम है जो वर्ष 1988 में आॅपरेशन पवन के दौरान श्रीलंका के जाफना में शहीद हो गये थे। वर्तमान में शहीद बसंत कुमार सिंह की पत्नी और बेटे के जीविकोपार्जन एवं अन्य आश्यकताओं की पूर्ति हेतु एकमात्र साधन पेंशन है। जिससे बमुश्किल ही उनका गुजर बसर हो पाता है।

उनकी पत्नी का गत कई वर्ष से लगातार गंभीर बीमारी का इलाज चल रहा है तथा तबीयत में कोई स्थाई सुधार नहीं हो रहा है। उनकी आर्थिक स्थिति भी निरंतर खराब होती जा रही है, जिस कारण विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना शहीद परिवार के परिजनों को करना पड रहा है।

मप्र शासन की योजनानुसार शहीद सैनिकों के परिवारों को आासीय भूमि आंटित किए जाने का प्रावधान है। जिसके अंर्तगत विगत छह माह से कार्यालयों के चक्कर लगा रही हैं किंतु कार्रवाई इतनी सुस्त है कि आज तक उन्हें इस संबंध में कागजात प्राप्त नहीं हो सके हैं।
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