जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य शासन को आठ सप्ताह के भीतर निजी स्कूल फीस गाइडलाइन पर पुनर्विचार के निर्देश दिए हैं। इसमें ग्वालियर बेंच द्वारा 13 मई को जारी आदेश का भी पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।
बुधवार को प्रशासनिक न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व जस्टिस सुशील कुमार गुप्ता की युगलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता डॉ.पीजी नाजपांडे की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने दलील दी कि सरकार ने जो गाइडलाइन जारी की है उसमें इस बात की तस्दीक करना आवश्यक है कि फीस निर्धारण की नीति वास्तव में जनहितकारी है या नहीं? इससे अभिभावकों-छात्रों को वाकई लाभ होगा या नहीं?
30 अप्रैल को जारी की थी ये गाइडलाइनः
प्राइवेट स्कूल एक सत्र में 10 फीसदी फीस बढ़ा सकेंगे।
इससे अधिक फीस बढ़ाने के लिए उन्हें संभाग स्तरीय फीस नियंत्रण समिति की अनुमति लेनी होगी।
निजी स्कूल किसी भी प्रकाशक की किताबें पढ़वा सकेंगे।
फीस के बारे में शिकायत या आपत्ति सिर्फ अभिभावक ही दर्ज करा सकेंगे।
डमिशन फीस एक साल की ट्यूशन फीस के बराबर होगी।
नोटः यह गाइडलाइन बनाने के लिए अभिभावकों की राय नहीं ली गई थी।
यह थी आपत्ति
याचिकाकर्ता ने इस गाइडलाइन पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह महज प्रशासनिक है। कानूनी नहीं। इस वजह से उसे निजी स्कूलों से लागू कराना टेढ़ी खीर है।