सूचना आयोग को गुमराह करने वाला एडीएम दण्डित: कल्पना तिवारी केस

भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग ने तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी व संयुक्त कलेक्टर एचएस भदौरिया को आरटीआई एक्ट के उल्लंघन का दोषी करार देते हुए 5000 रूपए के जुर्माने से दंडित किया है।

राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाते हुए अर्थदंड की राशि 7 दिन में आयोग में जमा कराने का आदेश पारित किया है। उन्होंने भदौरिया को जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब विधिसम्मत न होने के आधार पर नामंजूर कर दिया।

लोक सूचना अधिकारी ने बरती कोताही
आयुक्त ने आदेश में कहा है कि तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी ने अपीलार्थी को चाही गई जानकारी 30 दिन की नियत समय-सीमा में नहीं दी। जानकारी डाक से भेजना बताया गया जो अपीलार्थी को प्राप्त नहीं हुई। प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं तत्कालीन कलेक्टर, ग्वालियर पी. नरहरि के समक्ष अपीलार्थी की अन्य प्रकरण से संबंधित पावती पेश कर प्रथम अपील गलत आधार पर निरस्त करा दी गई।

सुनवाई में आयोग के समक्ष भी ऐसी जानकारी प्रस्तुत की गई, जो प्रकरण से संबंधित नहीं है। आयोग द्वारा अपीलीय अधिकारी का आदेश खारिज किए जाने के बाद अपीलीय अधिकारी ने लोक सूचना अधिकारी को लिखा कि आयोग के 12 फरवरी 15 के आदेश से स्पष्ट है कि अपीलार्थी को वांछित जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। ऐसे में आयोग के आदेश के पालन में आपको निर्देशित किया जाता है कि अपीलार्थी को चाही गई जानकारी 2 मार्च 15 के पूर्व अनिवार्यतः उपलब्ध कराएं। इसके बाद भी अपीलार्थी को जानकारी प्रदाय नहीं की गई।

यही नहीं आयोग द्वारा दो बार 12 फरवरी और 31 मार्च 15 आदेशित किए जाने के बावजूद लोक सूचना अधिकारी अपीलार्थी को जानकारी उपलब्ध नहीं करा सके। अपीलार्थी ने लोक सूचना अधिकारी के इस उत्तर को गलत करार दिया कि आयोग के आदेश के पालन में 24 फरवरी 15 को अपीलार्थी के नए पते पर स्पीड पोस्ट से जानकारी भेजी गई थी, जो उनके उपलब्ध न होने के कारण लौट आई। अपीलार्थी के अनुसार अब तक लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्रेषित बताई गई कोई डाक उन्हें नहीं मिली है।

अब भुगतें दंड
आयुक्त आत्मदीप ने फैसले में कहा कि तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी द्वारा धारा 7 के अनुसार सूचना के आवेदन का निराकरण करने तथा सूचना आयोग व जिला कलेक्टर के आदेश का पालन करने के संबंध में कोई पुष्ट प्रमाण पेश नहीं किया गया, बल्कि भ्रमित करने वाली जानकारी पेश की गई। वे दो सुनवाई तिथियों पर बिना कारण बताए उपस्थित नहीं हुए और न ही अपील उत्तर पेश किया। वे तीसरी सुनवाई 27 अप्रैल 15 में तभी उपस्थित हुए, जब उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। वे इस सुनवाई में भी भ्रमित करने वाली जानकारी लेकर हाजिर हुए। यही नहीं तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी आरटीआई एक्ट के प्रति असद्भाव प्रदर्षित करते हुए धारा 7 के उल्लंघन के दोषी पाए जाने के कारण पांच हजार रूपए की शास्ति से दंडित किए जाते हैं।

अब दें जानकारी
सूचना आयुक्त ने लोक सूचना अधिकारी को आदेशित किया है कि वे एक माह में अपीलार्थी को संबंधित अभिलेख का अवलोकन करा कर चिन्हित जानकारी निःशुल्क प्रदाय करें। अभिलेख में अनुपलब्ध जानकारी के संबंध में स्थिति स्पष्ट करें तथा आयोग के समक्ष यथाशीघ्र पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करना सुनिष्चित करें।

यह चाही थी जानकारी
अपीलार्थी कल्पना तिवारी ने 14 मार्च 12 को दिए आवेदन के माध्यम से लोक सूचना अधिकारी, कलेक्टर, ग्वालियर से अपने पति, तत्कालीन जिला आयुर्वेद अधिकारी अरूण कुमार तिवारी (वर्तमान में उपसंचालक, संचालनालय आयुष, भोपाल) को बिना किसी सूचना/शोकाज के तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी के प्रस्ताव पर संभाग आयुक्त एसबी सिंह द्वारा निलंबित किए जाने से संबंधित दस्तावेजों की सत्यप्रतियां चाही थीं, जो बिना कोई कारण बताए प्रदाय नहीं की गई। बाद में कलेक्टर पी. नरहरि के प्रस्ताव पर इन्हीं संभाग आयुक्त ने निलंबन निरस्त कर उन्हें बहाल किया।

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