रेपपीड़िता कलेक्टर को सौंपेगी अनचाही औलाद

शत्रुघ्न शर्मा/अहमदाबाद। भारत में अपने आप में शायद यह पहला मामला होगा, जब एक दुष्कर्म पीड़िता नवजात को जन्म देने के बाद उसे कलेक्टर को सौंपेगी। गुजरात हाईकोर्ट की ओर से गर्भपात की मनाही के बाद पीड़िता बच्चे को जन्म देगी, पर उसका परिवार उसे अपनाएगा नहीं। साथ ही, पीड़िता को समाज के समक्ष पवित्र होने की परीक्षा भी देनी होगी।

मध्य गुजरात के बोटाद जिले के राणपुर गांव की एक महिला से करीब नौ माह पहले सरपंच मयूर राजपूत ने कुछ साथियों की मदद से दुष्कर्म किया था। इसके बाद पीड़िता गर्भवती हो गई और उसने स्थानीय अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक बच्चे को जन्म नहीं देने की इच्छा जताई। लेकिन मेडिकल कानूनों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने गर्भपात से इनकार कर दिया। साथ ही, गर्भस्थ बच्चे को हिम्मतपूर्वक जन्म देने की नसीहत दी। प्रसव पीड़ा के बाद पीड़िता को भावनगर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां दो तीन दिन में वह नवजात को जन्म देगी।

समाज लेगा अग्निपरीक्षा
बच्चे के जन्म के बाद पीड़़िता को समाज के समक्ष शुद्धिकरण विधि से गुजरना होगा। इसमें सिर पर भारी पत्थर रखकर कई घंटे कुछ रस्में निभानी होंगी। इसमें सफल होने के बाद ही उसे पवित्र माना जाएगा।

इसलिए देगी अग्निपरीक्षा
सहफरियादी सरदार सिंह मोरी का कहना है कि चौखा होने की विधि से महिलाओं को ही गुजरना होता है। शादी बिना शारीरिक संबंध रखने पर युवतियों की भी ऐसी परीक्षा ली जाती है। पीड़िता ने आरोपी मयूर राजपूत से जान को भय होने की शिकायत मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल से भी की थी, लेकिन पुलिस अभी कुछ ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है।

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