जबलपुर। भले ही व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच चल रही है। तमाम दिग्गज जांच की जद में हैं, बावजूद इसके मेडिकल में सीटों की बिक्री और व्यापमं में घोटालों का क्रम रुकने का नाम नहीं ले रहा है। व्यापमं द्वारा आयोजित की गई एसआई परिवहन विभाग की परीक्षा में घोटाले का ग्राउंड तैयार किया जा रहा है। इस संदर्भ में एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है।
अगस्त 2015 में आयोजित होने जा रही ट्रांसपोर्ट एसआई परीक्षा में ऐसा कमजोर पक्ष जानबूझकर छोड़ा गया है, जिसका फायदा उठाकर फर्जी नियुक्तियां आसानी से की जा सकें। आवेदन की अंतिम तिथि के बाद 5 दिन तक आवेदकों को अपने फोटो और हस्ताक्षर बदलने की सुविधा देना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।
उन्होंने बताया कि निर्धारित नियम के मुताबिक इस परीक्षा की आयुसीमा 40 साल है, जिसे मनमाने तरीके से बढ़ाकर 52 साल कर दिया गया है। यही नहीं परीक्षा के लिए 90 प्रतिशत विषय-सामग्री ऐसी रखी गई है जिसका ट्रांसपोर्ट एसआई पद से कोई लेना-देना ही नहीं है।
मोटर वीकल एक्ट का उल्लंघन
याचिकाकर्ता ज्ञानप्रकाश ने बताया कि सड़क हादसों में मौतों का आंकड़ा 9 हजार 295 तक पहुंचने पर उन्होंने जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर हुए आदेश का समुचित पालन नदारद रहा। लिहाजा, अवमानना याचिका दायर की गई। जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ट्रांसपोर्ट एसआई के रिक्त पद भरने का आदेश सुनाया। साथ ही व्यवस्था दी कि यदि नियुक्ति मोटर वीकल एक्ट के विपरीत हो तो शिकायत की जाए। चूंकि व्यापमं ऐसा ही कर रहा है अत: हाईकोर्ट की शरण ले ली गई। कायदे से ट्रांसपोर्ट एसआई पद के लिए ऑटोमोबाइल व मैकेनिकल इंजीनियरिंग के डिप्लोमा धारकों को तरजीह देनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा।
व्यापमं का गठन ही गैरकानूनी
जनहित याचिकाकर्ता का तो यहां तक कहना है कि व्यापमं पूरी तरह गैरकानूनी है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2007 में व्यापमं गठित तो कर दिया गया लेकिन उसकी विधिवत अधिसूचना अब तक जारी नहीं की गई।