नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद व्यापमं घोटाले में फंसे मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव की कुर्सी जानी तय मानी जा रही है। उन्हें हटाने या न हटाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट तो बाद में सुनवाई करेगा, लेकिन केंद्र सरकार ने फैसला कर लिया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलकर रामनरेश यादव के खिलाफ व्यापमं में संलिप्तता के आरोपों और सुप्रीम कोर्ट के ताजा नोटिस की जानकारी दी।
फिलहाल रामनरेश यादव पर खुद ही पद से इस्तीफा के लिए दबाव बनाया जा रहा है। संभवतः वह इस्तीफा दे भी दें। ऐसा नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सूचना मिलने के बाद ही गृहमंत्री ने अपने अधिकारियों के साथ सलाह-मशविरा शुरू कर दिया था।
इस सिलसिले में उन्होंने गृह सचिव एलसी गोयल व अन्य अधिकारियों से बात की। सूत्रों के अनुसार अधिकारियों का कहना था कि रामनरेश यादव को हटाने या उनका इस्तीफा लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। बैठक के बाद राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति को पूरी स्थिति से अवगत कराया। पुराने एफआइआर की जानकारी दी और इसका आधार तय हो गया कि राज्यपाल से इस्तीफा मांगा जाए।
गौरतलब है कि व्यापमं घोटाले में आरोपों के बावजूद रामनरेश यादव के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई थी। इस मामले में कांग्रेस भी सरकार पर सवाल उठाती रही है।ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट के सामने रामनरेश यादव को पद से हटाने की मांग भी की गई थी लेकिन कोर्ट ने उसे ठुकराते हुए कहा कि पहले राज्यपाल के खिलाफ आपराधिक मामले पर विचार होगा। इसकी सुनवाई बाद में होगी।