नई दिल्ली। यदि आप किसी सरकारी दफ्तर में काम करते हैं और आपके ऊपर बहुत सारा सरकारी पैसा या अहम सरकारी सीक्रेट्स संभालने का जिम्मा है तो आपको प्राइवेट फॉरन ट्रिप की इजाजत लेने में मुश्किल हो सकती है।
सरकार अपने किसी मुलाजिम को निजी विदेश यात्रा पर जाने की इजाजत देने से पहले अब यह देखेगी कि कहीं वह बड़ा सरकारी फंड या उसके सीक्रेट मैटर्स को हैंडल कर रहा है या नहीं। सरकार ने ऐसे मामलों को देखने के लिए एक नया फॉर्मेट बनाने का प्रपोजल दिया है और यह नियम उसी का हिस्सा है।
सरकार ने जो नियम बनाने का प्रपोजल दिया है, उसके अनुसार सरकारी कर्मचारी को इजाजत देने के पॉजिटिव या नेगेटिव फैसले की जानकारी ऐप्लिकेशन दिए जाने के 15 दिन के भीतर बता दि जाएगी। मौजूदा नियमों के अनुसार, ऐसी अर्जी के जवाब के लिए समय सीमा तय नहीं है। ऐसे में कई बार सरकारी कर्मचारियों का विदेश यात्रा की योजना फेल हो जाता है। निजी यात्रा के लिए भी विदेश यात्रा के लिए अर्जी देनेवाले सरकारी मुलाजिमों को अथॉरिटी की इजाजत लेनी होती है।
ऐसी अर्जियों पर मंजूरी देने के लिए बने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग (ष्ठशक्कञ्ज) ड्राफ्ट निर्देशों के एक सेट के अनुसार, 'ऐसी अर्जियों को मंजूरी देते वक्त बहुत सी बातों को ध्यान में रखना होता है। मिसाल के लिए सुरक्षा को देखते हुए इजाजत देने से मना किया जा सकता है। जिन लोगों के खिलाफ गंभीर आरोपों में जांच चल रही है, जो पुलिस अथॉरिटीज के हाथों गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर सकता है, या जिसके खिलाफ जांच हो सकती है, उनको देश से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
सरकारी कर्मचारियों को विदेश जाने की इजाजत देने से पहले ऐडमिनिस्ट्रेटिव अथॉरिटीज को नया प्रारूप भरना होगा। इसमें चार पैरामीटर्स दिए गए हैं जिन पर उनको गौर करना होगा। उनको यह देखना होगा कि क्या सरकारी कर्मचारी का बहुत सारा कैश हैंडल करता है क्या वह सीक्रेट/टॉप सीक्रेट मैटर डील करता है? क्या उसके खिलाफ कोई गंभीर आरोप की जांच चल रही है? क्या उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही चल रही है? अर्जी देनेवाले ऑफिसर को यह बताना होगा कि उसने पिछले चार साल में कितनी बार निजी विदेश यात्रा की है। उनको यह भी बताना होगा कि विदेश यात्रा का मकसद क्या था और उनको उससे जुड़ी पूरी जानकारी देनी होगी।
