भोपाल। गरीब कोटवारों से जमीन वापस लेना उचित नहीं है। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट में मंगलवार को भू-राजस्व संहिता संशोधन अध्यादेश पर चर्चा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अध्यादेश से कोटवारों से सेवा भूमि वापस लेने का प्रावधान हटा दिया जाए।
इस पर गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने किसानों से जमीन अधिग्रहण का जिक्र करते हुए कहा कि कोटवारों से जमीन लेने में आखिर हर्ज ही क्या है। राजस्व मंत्री रामपाल सिंह ने कहा कि इंदौर के तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने प्रस्ताव बनाकर भेजा था कि इंदौर से लगे गांवों में कोटवारों के पास जो जमीन है वह करोड़ों की हो गई है, ऐसे में हम उसका उपयोग उद्योग सहित अन्य जरूरी काम के लिए कर सकते हैं। इसी आधार पर बड़े शहरों की जमीन वापस लेने के लिए अध्यादेश में ये प्रावधान भी शामिल किया गया।
विभाग के प्रमुख सचिव केके सिंह बोले कि इस प्रावधान से सरकार को करोड़ों रुपए की जमीन मिल सकती है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि अभी ये प्रस्ताव मंजूर हुआ तो कोटवार आंदोलन करेंगे।
खाद्य मंत्री विजय शाह ने सुझाव दिया कि जिन कोटवारों के पास 5 एकड़ से ज्यादा जमीन है वह वापस ले ली जाए। इस पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कोटवारों के पास केवल 5 एकड़ ही जमीन होती है। मंत्री शाह बोले कि उन्होंने अतिक्रमण भी तो कर रखा है।
राजस्व भूमि संशोधन अध्यादेश के इस प्रावधान पर लंबी बहस देख मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर ज्यादा चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव से कहा कि इस प्रावधान को हटाकर अध्यादेश को मंजूरी दी जाती है।