बेशक यह पूनम कश्यप की खुद की लगन व मेहनत ही थी कि उसने तमाम मुश्किल हालात के बावजूद हाल ही में यूपीएससी की सिविल सर्विस की परीक्षा उत्तीर्ण की. मगर इसमें उसके सिपाही पति संदीप कुमार कश्यप का योगदान भी कम नहीं था.
शादी के बाद पढ़ाई जारी रखने की पत्नी की इच्छा का न केवल सम्मान किया बल्कि घरेलू कामकाज में मदद की ताकि पत्नी को पढ़ने के लिए समय मिल सके। पति-पत्नी दोनों की साझी कोशिश रंग लाई और पूनम बन गई आईएएस।
यह कहानी है गाजियाबाद एसएसपी ऑफिस में तैनात सिपाही संदीप कुमार कश्यप व उनकी पत्नी पूनम की। वह शामली जिले के एल्लम गांव का मूल निवासी है, उसकी पत्नी पूनम व बच्चे मेरठ में रोहटा रोड स्थित विकास एन्क्लेव में किराए के मकान में रहते हैं। मंगलवार को संदीप कुमार ने जब अपने ऑफिस के सहकर्मियों से पत्नी की सफलता की खुशी साझी की तो लोगों ने उसकी बात को कोरा गप्प समझा. बुधवार को जब वह मिठाई लेकर एसएसपी धर्मेन्द्र सिंह के ऑफिस पहुंचा और उन्हें बताया तो बाकी लोगों ने भी उसे बधाई दी. एसएसपी से ही मीडिया को इस बात की जानकारी मिली.
संदीप के अनुसार वह वर्ष 1995 में पुलिस में सिपाही भर्ती हुआ था. वर्ष 99 में उसकी शादी मुजफ्फरनगर के भौंरा कलां निवासी पूनम से हुई थी. तब पूनम 12वीं कक्षा में पढ़ती थी. पूनम ने संदीप से अपनी पढ़ाई जारी रखने की इच्छा जताई तो संदीप ने उसकी बात का समर्थन किया. शादी के बाद ही संदीप के घर से ही इंटर की परीक्षा दी और उत्तीर्ण की. संदीप की तैनाती लंबे समय तक मेरठ जिले में रही. इस दौरान पूनम में मेरठ के डीएन डिग्री कॉलेज से बीएससी करने के बाद यहीं से मैथ्स में एमएससी की. अब तक उनके तीन बच्चे भी हो चुके हैं.
वह दिन भी आया जब बीते साल पूनम ने सिविल सर्विस की प्री एग्जाम उत्तीर्ण कर मेन्स की परीक्षा दी. इस परीक्षा के बीच में बीमार होने के चलते वह नौ में से छह पेपर नहीं दे पाई. इसके लिए उसे इस बार मौका मिला और एक्स मेरिट में उसने 46वीं रैंक पाकर बाजी मार ली. संपीन ने पूनम को सिविल सर्विस की परीक्षा के लिए दिल्ली के मुखर्जी नगर में चाणक्य कोचिंग सेंटर से कोचिंग भी कराई. दोनों वहां किराए का मकान लेकर चार महीने रहे. संदीप जहां इस कामयाबी को पत्नी पूनम की लगन व मेहनत का नतीजा बताते हैं वहीं पूनम इसका श्रेय संदीप के सहयोग को देती हैं. संदीप के पिता मलखान सिंह एल्लम गांव में ही खेती बाड़ी करते हैं.
