भोपाल। '...पंखों से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है' इन पंक्तियों को साकार कर रही है बालाघाट जिले की 24 साल की धनवंतरी पांचे जो अपने पैरों की 6 उगंलियों से कम्पयूटर चला लेती है। धनंवतरी जन्म से ही दोनों हाथों से विकलांग है लेकिन धनवंतरी ने अपनी इस विकलांगता को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया। यही वजह है कि आज वह एक कुशल कम्पूयटर ऑपरेटर बन कर जनपद कार्यालय बालाघाट में नौकरी कर रही है। धनंवतरी अपने पैरों से कुशल तरीके से कम्यूटर चलाने में सक्षम है।
7 मिनट में 250 शब्द
इतना ही नहीं वह 07 मिनट में 250 शब्द टाइप कर एक कुशल ऑपेरटर की तरह हर वह काम कर लेती जिस काम को करने में एक अच्छा-खासा कम्पूयटर ऑपरेटर भी समय लेता है।
बोझ नहीं बनी, हाथ बंटाया
बालाघाट जिले के पेण्डरई गांव की रहने वाली धनवंतरी के पिता मजदूर है। घर में कुल 7 लोग है। तीन भाईयों में से सबसे बड़ा भाई मनोज पेशे से मिस्त्री है। घर की माली हालत देख धनवंतरी ने सोचा कि वह भी कुछ नौकरी करेगी, इसके लिए जरूरी था कि वह इंटर पास करे। जिसके बाद धनंवतरी ने स्कूल में दाखिला लिया।
स्कूल में एडमिशन नहीं मिला
जहां पहले शिक्षकों उसकी विकलांगता को देखते हुए प्रवेश देने से मना कर दिया लेकिन धनवंतरी की जिद और हौंसलों को देखते हुए धनवंतरी को पढ़ने का मौका मिला। जिसके बाद 10वीं व 12 वीं जैसी बोर्ड परीक्षाओं में भी धनंवतरी ने अपने पैरों से प्रश्नों को हल इन परीक्षाओं में उच्च क्षेणी प्राप्त किया। इसके बाद धनवंतरी ने सोचा कि आज के डिजीटल दौर में पढ़ाई बस से काम नहीं चलेगा।
6 महीने में सीख लिया कम्प्यूटर
धनंवतरी ने कम्पयूटर सीखने का प्रण किया। 6 माह के कम्पूयटर के प्रशिक्षण के बाद धनंवतरी एक कुशल कम्प्यूरट ऑपरेटर बन गई।