भोपाल। निश्चित रूप से मध्यप्रदेश के तरक्की कर रहा है। फिर चाहे वो मेडिकल माफिया हो या खदान माफिया। मप्र के बेरोजगार देशभर में चोरियां कर रहे हैं, तो मिलावटखोरी में भी मप्र किसी से कम नहीं है। नेशनल लेवल पर टॉप 3 में चल रहा है। वो तो केन्द्र सरकार ने ऐसी सफलताओं पर अवार्ड नहीं रखे, नहीं तो 10-20 अवार्ड और मिल जाते अपने प्रिय..।
खैर, समाचार यह है कि मिलावट के मामले में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सबसे आगे हैं। पिछले चार साल में भारतीय खाद्य एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने देश भर में 40 हजार से ज्यादा मिलावट के मामले पकड़े है। खास बात यह है कि हर साल इन मामलों में कमी आने की बजाय बढ़ोतरी हो रही है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश में भी लगातार भारी मात्रा में मिलावट के मामले पकड़े गए हैं।
हर साल मिलावट में हो रहा है इजाफा
भारतीय खाद्य एवं मानक प्राधिकरण की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा होता है कि साल 2011-12 से लेकर 2014-15 की पहली छमाही में 40 हजार से ज्यादा सैंपल में मिलावट पाई गई है। खास बात यह है कि प्राधिकरण द्वारा की गई कार्यवाही का असर कंपनियों पर नहीं पड़ा है। ऐसा इसलिए है कि हर साल मिलावट के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब में तेजी से बढ़ोतरी
रिपोर्ट के अनुसार साल 2011-12 में उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 1266 मामले मिले थे। इसके बाद आंध्र प्रदेश औऱ पंजाब में भी 500 से ज्यादा मिलावट के मामले सामने आए। इसी तरह 2012-13 में मध्य प्रदेश में 2043, गुजरात में 881 मामले सामने आए। इसी तरह 2013-14 में महाराष्ट्र में 1523, मध्य प्रदेश में 1433 और 2014-15 में राजस्थान में 747 मामले उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा पाए गए हैं।