सरकारी स्कूलों के मास्टरों को सरकार ने एक एक कर इतने गैर शैक्षणिक कार्य सौंप दिए है की वर्तमान में मास्टर चाहकर भी शिक्षण कार्य पूरी इमानदारी से सम्पादित नही कर पा रहा है। प्रतिदिन कुछ न कुछ नवीन जिम्मेदारी के चलते अब मास्टर सप्ताह में 3 दिन बच्चो के लिए दूध वितरण का कार्य व संचालन में भी अपनी भूमिका निभायेंगे।
पूर्व के 20 गैर शैक्षणिक कार्यो में एक कार्य और बढ जाने से समस्या हल होने की जगह और बढनी ही है और दूसरी और निजी स्कूलों से तुलना कर सरकारी स्कूलों के मापदंड व व्यवस्थाओ की उम्मीद की जाती है।
दूध वितरण व्यवस्था आदेश भी हो गए।।
अभी दूध पावडर के डिब्बे से चलाओ काम।।
डिब्बे की आपूर्ति संभवतः 1 जुलाई से शुरू।।
सप्ताह में तीन दिन।।
प्राथमिक में 100 ग्राम प्रति छात्र/छात्रा।।
मिडिल में 150 ग्राम प्रति छात्र/छात्रा।
मास्टर अब--
1.दवाई खिलवाने वाला
2.खाना खिलवाने वाला
3.पोधे रोपने वाला
4.खाता खुलवाने वाला
5.जाति प्रमाण पत्र बनाने वाला
6.चुनाव करवाने वाला
7.वोटर आई डी बनाने वाला
8.जन गणना करने वाला
9.समग्र आई डी बनाने वाला
10.गणवेश चेक देने वाला
11.सर्वे करने वाला
12.सायकल दिलाने वाला
13.मेले चलवाने वाला
14.डाक बनाने वाला
15.डाक पहुचाने वाला
16.रेडिओ सुनाने वाला
17.आर्थिक जांच करने वाला
18.आँखे चेक करने वाला
19.परिचय पत्र बनाने वाला
20.निजी शालाओ में 25%बच्चे दर्ज करवाने वाला
अब एक और तमगा लगाकर
21.**दूध पिलवाने वाला**
भी बन जाएगा।।
काश की सरकार और शिक्षा विभाग हमें सिर्फ और सिर्फ **पढाने वाला** रहने देती तो आज सरकारी स्कूल की शिक्षा और गुणवत्ता शिखर पर होती।
इतने कार्यो के बाद भी इमानदार मास्टर वार्षिक रिजल्ट में 60%से 80% तक की प्रतिवर्ष उपलब्धि हासिल करता है। यदि इतने कार्य सरकार या शिक्षा विभाग निजी स्कूलों से करवा ले जिनकी तुलना सरकारी स्कूलों से की जाती है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।
यदि हमें सिर्फ पढाने हेतु व अपनी विधि से पढाने की सुविधा मिल जाए तो सरकारी मास्टरों और सरकारी स्कूलों की बराबरी शायद ही कोई निजी स्कूल कर सके परन्तु ऐसा शायद ही संभव हो सके क्युकी योजना बनाने वाले व गैर शैक्षणिक कार्यो में मास्टर को लगाने वाले कभी सरकारी स्कूल में पढते तो शायद उन बच्चो का दर्द समझते जिनको मास्टर अन्य गैर शैक्षणिक कार्यो के चलते चाहकर भी समय नहीं दे पाते या फिर हमारी व्यस्तता व मज़बूरी तब वरिष्ठ लोगो को पता चलती जब इनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढते।
आपका मित्र
मुश्ताक खान
भोपाल। —9179613685