मोदी की महत्वाकांक्षी 'सबके लिए घर' योजना केबीनेट में मंजूर

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पसंदीदा '2022 तक सभी के लिए हाउसिंग' स्कीम को कैबिनेट ने बुधवार को हरी झंडी दे दी। इस स्कीम का मकसद शहरी गरीब लोगों को घर दिलवाना है। स्कीम में प्राइवेट डिवेलपर्स की भागीदारी के साथ स्लम में रहने वालों का पुनर्वास, क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के जरिए कमजोर तबकों के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग शामिल हैं। स्लम रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के तहत प्रति घर औसत एक लाख रुपये का केंद्रीय अनुदान उपलब्ध होगा।

क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के तहत कमजोर तबकों और कम आमदनी वाले लोगों को 15 वर्ष तक के हाउसिंग लोन्स पर 6.5 पर्सेंट की इंटरेस्ट सब्सिडी दी जाएगी। इससे प्रत्येक लाभार्थी को लगभग 2.3 लाख रुपये का फायदा मिलेगा।

केपीएमजी की 'डिकोडिंग हाउसिंग फॉर ऑल बाय 2022' रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को 2022 तक दो लाख करोड़ डॉलर के इनवेस्टमेंट से लगभग 11 करोड़ हाउसिंग यूनिट्स डिवेलप करनी होंगी।

नई स्कीम में 4,041 स्टैचुटरी टाउन का पूरा शहरी इलाका कवर होगा। शुरुआत में 500 क्लास 1 शहरों पर फोकस किया जाएगा। स्कीम को तीन चरणों में लागू किया जाना है। पहला चरण अप्रैल 2015 से मार्च 2017 तक 100 शहरों को कवर करेगा। दूसरे चरण में अप्रैल 2017 से मार्च 2019 तक 200 और शहर कवर होंगे। अप्रैल 2019 से मार्च 2022 तक चलने वाले तीसरे चरण में बाकी बचे शहरों को शामिल किया जाएगा।

इस स्कीम में एक टेक्नोलॉजी सब-मिशन भी शामिल होगा। इसके तहत घरों के जल्द और क्वॉलिटी वाले कंस्ट्रक्शन के लिए मॉडर्न, इनोवेटिव और ग्रीन टेक्नोलॉजीज और बिल्डिंग मैटीरियल उपलब्ध कराए जाएंगे। घरों के कंस्ट्रक्शन के लिए एनवायरमेंट फ्रेंडली टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल होगा। सरकार ने सोलर पावर जेनरेशन कैपेसिटी का टारगेट भी पांच गुना बढ़ाकर 2022 तक एक लाख मेगावॉट करने का फैसला किया है। इसके लिए लगभग छह लाख करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट किया जाएगा। कम्युनिकेशन एंड आईटी मिनिस्टर रवि शंकर प्रसाद ने कहा, 'यह फैसला देश में क्लीन एंड ग्रीन सस्टेनेबल एनर्जी सोर्स तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।'

इस महत्वाकांक्षी टारगेट के साथ भारत दुनिया के सबसे बड़े ग्रीन एनर्जी प्रोड्यूसर्स में शामिल हो जाएगा। इस टारगेट को हासिल करने के लिए देश के शहरों और कस्बों में रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए कैपिटल सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में सरकार ने डेयरी डिवेलपमेंट प्रोग्राम में उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ को शामिल करने के प्रपोजल को मंजूरी देने के साथ ही नेशनल डेयरी प्लान-1 को दो और वर्षों के लिए बढ़ा दिया।

नेशनल डेयरी प्लान-1 केंद्र की एक स्कीम है। इसे नेशनल डेयरी डिवेलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) ने मिल्क प्रॉडक्शन की संभावना वाले 15 राज्यों के लिए मंजूरी दी थी। इस पर 2011-12 से 2016-17 तक छह वर्षों के लिए 2,242 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट किया जाना है।

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