नईदिल्ली। अब तक नकली, मिलावटी या स्वास्थ्य के हानिकारक फूड प्रॉडक्ट बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हुआ करती थी, रिटेलर इसमें निर्दोष माना जाता था परंतु अब जो नया कानून बन रहा है उसके अनुसार उस दुकानदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी जो नकली, मिलावटी या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक फूड प्रॉडक्ट बेच रहा है। फिर चाहे वो मैगी जैसे पैक्ड फूड ही क्यों ना हो।
किसी प्रॉडक्ट को फूड सेफ्टी से जुड़े नियमों के तहत मंजूरी मिली है या नही, यह चेक करने का जिम्मा रिटेलर्स पर डाला जा सकता है। देश का फूड रेग्युलेटर इस संबंध में योजना बना रहा है। इसके तहत रिटेलर्स अगर ऐसे प्रॉडक्ट्स बेचते पाए गए, जिन्हें फूड रेग्युलेटर ने ग्रीन सिग्नल नहीं दिया हो, तो उन पर कार्रवाई हो सकती है।
फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के चीफ ऐग्जिक्युटिव युद्धवीर सिंह मलिक ने ईटी को बताया कि एक अडवाइजरी जारी करने पर काम हो रहा है, जिसमें रिटेलर्स की जिम्मेदारियां स्पष्ट की जाएंगी। यह एक बड़ा कदम होगा और रिटेलर्स जिन प्रॉडक्ट्स का स्टॉक रखते है, उसके लिए वे ही जिम्मेदार माने जाएंगे। अगर कोई गड़बड़ हुई तो उन पर रेग्युलेटरी और लीगल ऐक्शन लिया जा सकेगा। हाल में नेस्ले के मैगी नूडल्स सहित कुछ और ब्रैंड्स के मामले में FSSAI ने ऐक्शन लिया था। सिंह ने कहा, रिटेलर्स जो कुछ कन्जयूमर्स को बेच रहे हो, उसके लिए उन्हें भी जिम्मेदार होना चाहिए।
मलिक ने कहा कि प्राय: यह देखा जाता है कि कई रिटेलर्स ज्यादा मार्जिन पाने के लिए ऐसे प्रॉडक्ट्स भी बेचने लगते है, जिन्हें मंजूरी नहीं दी गई हो। उन्होंने कहा कि जब फूड इंस्पेक्टर्स इस पर सवाल करते है तो ज्यादातर रिटेलर्स का जवाब होता है कि उन्हें तो पता ही नहीं था। सिंह ने कहा कि मैगी का मामला तब सामने आया, जब उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक फूड इंस्पेक्टर ने इसके रैंडम सैंपल एक ऑर्गनाइज्ड रिटेलर से लिए और उनकी जांच में पता लगा कि उनमें बहुत ज्यादा लेड और मोनो सोडियम ग्लूटामेट था। सिंह ने कहा कि जब अधिकारियों ने रिटेलर को जिम्मेदार ठहराया तो उसका जवाब था कि प्रॉडक्ट उसने तो बनाया नहीं, लिहाजा वह जवाबदेह कैसे हो सकता है।
विवाद उठने के बाद लगभग सभी रिटेलर्स ने मैगी नूडल्स बेचना बंद कर दिया था, लेकिन ऐसे कई प्रॉडक्ट्स स्टोर्स में मौजूद है, जिन्हें FSSAI की मंजूरी नहीं है और कुछ को तो इसने बैन भी कर दिया था। FSSAI ने हाल में टाटा स्टारबक्स के 32 प्रॉडक्ट्स, केलॉग्स के सीरियल, वेंकीज के पॉल्ट्री प्रॉडक्ट्स, एचयूएल के नॉर इंस्टैंट नूडल्स और रैनबैक्सी के एक मल्टिविटामिन सहित लगभग 500 प्रॉडक्ट्स को बैन किया था।
रिटेलर्स ने FSSAI के प्रस्तावित कदम पर कहा कि वे तभी प्रतिक्रिया देंगे, जब इस संबंध में वे अध्ययन कर लेंगे। हालांकि ऐनालिस्ट्स ने कहा कि रिटेल ट्रेड पर जवाबदेही डालने से कई चुनौतियां सामने आएंगी क्योंकि यहां लगभग 88 लाख स्टोर्स है।
रिटेल कंसल्टिंग फर्म थर्डआईसाइट के देवांग्शु दत्ता ने कहा, अब तक नियमों के पालन का जिम्मा ब्रैंड ओनर या मैन्युफैक्चरर पर है। अगर रेग्युलेटर इसका दायरा बढ़ाना चाहता है तो नियम लागू करने की चुनौती होगी।