इंसानियत के दुश्मन

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। इस्लामिक स्टेट यानी आईएस क्रूरता की तमाम हदें पार करता दिखाई दे रहा है। निर्दोष नागरिकों, पत्रकारों, स्त्रियों, बच्चों, युवाओं को बंधक बनाना, उनके साथ पाशविक व्यवहार करना और फिर खूंखार तरीके से उन्हें मारना, आईएस की कार्यशैली का नमूना है। उसकी क्रूरता के आगे मध्ययुगीन बर्बरता भी कम लगती है।

रमजान के पवित्र माह में उसने दो युवकों को इसलिए मार दिया क्योंकि उन्होंने भोजन कर लिया था। हाल में आईएस के कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें बंधकों को एक लाइन से बिठाकर उनके गले में विस्फोटक बांधकर उड़ाते हुए दिखाया गया है। इतने क्रूरतापूर्ण काम करने वाले धर्म के सच्चे रक्षक कतई नहीं हो सकते। एक ओर आईएस का आतंक है तो उधर सूडान में चल रहे गृहयुद्ध में सैनिकों की पिशाची हरकतें सामने आ रही हैं।

सूडान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और साउथ सूडान लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने 3 हफ्तों में 129 बच्चों की हत्या कर दी, कई नाबालिग लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार कर उन्हें मार डाला। वे नहीं चाहते कि लड़ाकों के बच्चे बड़े होकर विद्रोही बनें। इसलिए उनको बचपन में ही खत्म कर दिया जा रहा है। इस तरह पिछले 18 महीनों में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला जारी है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 18 महीनों से हो रहे गृहयुद्ध में बच्चों से बलात्कार और हत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लोगों के घर जला दिए जाते हैं और इसमें बच्चों के परिजनों को फेंक दिया जाता है। 

अफ्रीका और मध्यपूर्व एशिया मेंंपैर पसार चुकी यह हिंसा भारत के पड़ोसी अफगानिस्तान में भी रोजाना दहशत का कारण बनी हुई है। 22 जून को ही वहां की संसद पर तालिबान ने हमला किया। यह हमला उस महत्वपूर्ण संसद सत्र के दौरान हुआ, जिसमें रक्षा मंत्री की नियुक्ति की जानी थी। अफगानिस्तान की सेना ने सभी हमलावरों को मार गिराया, लेकिन खुफिया एजेंसियां इस हमले को रोक पाने में नाकाम साबित रहीं। विगत सितंबर में अफगानिस्तान की कमान संभालने वाले राषट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी के लिए अमरीका समर्थित नाटो सैनिकों की वापसी के बाद देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना बहुत बड़ी चुनौती है। उन्हें पाकिस्तान और भारत दोनों के सहयोग की आवश्यकता है।

नाइजीरिया, सूडान, लीबिया, सीरिया, इराक, अफगानिस्तान ये तमाम देश इसी दुनिया का हिस्सा हैं, और अगर यहां इंसानियत खाक होती है तो उसकी राख विश्व के शेष हिस्सों पर भी उड़ेगी।


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