मिलावट के जहर को भी तो रोकिये

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। नेस्ले को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली अच्छा हुआ लेकिन और भी कई मिलावट वाले खाद्य पदार्थ देश के लोगों के सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं और इसे किसी भी  कीमत पर रोका जाना चाहिए। विदेशी पूंजी और रोजगार की आड़ लेकर इन कंपनियों की गलत हरकत को किसी भी कीमत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। देश में बेहतर इंफ्रास्ट्रर के साथ। ही गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ ही लोगों का सही मायने में विकास कर सकते हैं। इसके लिए सख्त कानून के साथ ही राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी। हकीकत है कि देश में खाद्य सुरक्षा की प्रक्रिया काफी लचीली है। खाद्य मानकों को कंपनियां ठीक से पालन नहीं करती है|

देश में डिब्बाबंद खाद्य पदार्थो का बाजार साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है. अक्सर देश में दूध के मिलावटी होने के खबर आती रहती है. दूध के 70 प्रतिशत नमूने गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं लेकिन फिर भी दूध कंपनियों का कारोबार जारी है। कभी कभार दिखावे की कार्रवाई की जाती है और फिर स्थितियां जस की तस हो जाती हैं। कंपनियां चाहे देशी हो या विदेशी, कोई भी तय मानकों का पालन नहीं करती है। मिठाइयों में मिलावट की बात अब देश में सामान्य बात हो गयी है।

देश में निवेश की बात होती है, लेकिन खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता को लेकर निवेश की बात नहीं की जाती है। चीन में प्रति दो लाख आबादी पर एक प्रयोगशाला उपलब्ध है, जबकि भारत में 9 करोड़ लोगों पर एक प्रयोगशाला की सुविधा है वह भी आधी अधूरी। चीन में दूध में मिलावट की की खबर आयी और उसकी जांच की गयी. दोषी पाये जाने पर दो लोगों को फांसी की सजा दे दी गयी। क्या भारत में ऐसी उम्मीद की जा सकती है? भारत में खाद्य पदार्थो की मिलावट करने पर अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है।

देश में एक लॉबी है जो इन कंपनियों के साथ खड़ी होती है. इसका तर्क होता है कि भारत में हवा, पानी जब प्रदूषित है। खाद्य पदार्थ कैसे शुद्ध हो सकते हैं. यही जनमानस के बीच कंपनियों के पक्ष में मत बनाती हैं। खाद्य पदार्थ अमेरिका में मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं, तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाती है, फिर भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है? क्या कंपनियां अपने उत्पाद के प्रचार में यह कहती हैं कि हवा और पानी के प्रदूषित होने के कारण उनके उत्पाद स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं? अगर ऐसा दावा कंपनियां नहीं करती हैं तो फिर मानकों पर खरा नहीं उतरने पर सरकार को सख्त कार्रवाई तो करनी ही चाहिए। भारत में इसे लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी कमी रही है।

श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com

भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!