भोपाल। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने 90 वर्षीय तिवारी के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को लेकर सरकार की नीयत पर भी सवाल खड़े किए हैं। तीन जजों की बेंच ने कहा कि विधानसभा में श्रीनिवास के विधायक पुत्र सुंदरलाल तिवारी ने व्यापमं मामले में सरकार को कटघरे में खड़ा किया। इसलिए यह कार्रवाई बदले की भावना से प्रेरित लगती है।
कोर्ट ने सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। बुधवार को जस्टिस जगदीशसिंह खेहर, मदन बी. लोकुर और कुरियन जोसफ की बेंच ने मामले की सुनवाई की। तिवारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने पक्ष रखा।
सरकार ने दुर्भावना पूर्ण बीस साल पुराने मामले में प्रकरण दर्ज कराया। साफतौर पर यह कार्रवाई बदले की भावना से की गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी यही बात सिद्ध की। निश्चित रूप से यह फैसला स्वागत योग्य है।
दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री
मैंने विधानसभा में व्यापमं घोटाले में सरकार को घेरा। जब असलियत सामने आई तो मेरे पिताजी (श्रीनिवास तिवारी) के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। मुझे आगे भी आशंका है कि आगे भी हमें निशाना बनाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मेरे द्वारा विधानसभा में व्यापमं घोटाले को लेकर प्रश्न लगाए इसलिए यह कार्रवाई की गई।
सुंदरलाल तिवारी, विधायक
कोर्ट ने सरकार को आइना दिखा दिया है। जो आदमी चल नहीं सकता। बोल नहीं सकता। देख नहीं सकता। ऐसे व्यक्ति को तो जेल से भी छोड़ देते हैं। दुर्भावना से सरकार को कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए।
सत्यदेव कटारे, नेता प्रतिपक्ष
यह कोई अंतिम फैसला नहीं
हम तीन सप्ताह में जवाब देंगे। फिर दो सप्ताह का समय और मिलेगा। कुल मिलाकर पांच सप्ताह में हम अपना पक्ष रखेंगे। यह कोई अंतिम फैसला नहीं है।
सौरभ मिश्रा, सुप्रीम कोर्ट में सरकार के वकील