टीकमगढ़ से भोपाल तक दौड़ती हैं सिंगल विंडो बसें

रतीराम श्रीवास/टीकमगढ। बस स्टैंण्ड श्यामा प्रसाद मुखर्जी से चारो दिशाओं का मार्ग जुडा हुआ है, जहां से यात्री अपने गंतव्य मार्ग तक पहुच सकता है लेकिन जो अवागमन के संसाधन हैं उनमे यात्रा करना जान जोखिम डालना है क्योकि जो बसे सडक पर दौड रही हे वे खटारा हैं।

नगर से महानगरों की ओर चलने बाली बसें सिंगल बिन्डो की पडोसी जिला मे प्रवेश करने वाली बसे खस्ता हालत की स्थिति में। बसो मे न तो आपातकालीन खिडकी है और न ही कोई सुरक्षा के साधन और बसें ठसाठस भरकर फर्राटा मारकर दौड रही हैं। जिला प्रशासन कानों मे रूई आखों पर काली पटटी बाधकर बडी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है।

बताते चले की बुन्देलखण्ड का टीकमगढ नगर कभी राजा महाराजाओं का नगर कहलाता था। धीरे धीरे परिवेश बदलता गया और राजामहाराजाओ के नाम लुप्त होते गये। टीकमगढ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बस स्टैंण्ड से अवागमन के संसाधन हैं, टीकमगढ से दिल्ली, भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, सागर, झाॅसी, पन्ना, छतरपुर, ललितपुर, सतना एवं ग्वालियर आदि मार्ग जुडा हुआ है। जहां से यात्री अपने गंतवय मार्ग तक पहुच जाता हैं। सडक पर चलने वाली बसे अधिकांश खटारा हैं, बसों मे आपातकालीन बिन्डो नही है। नगर से महानगरों की ओर चलने बाली बसे सिंगल बिन्डो की दौड रही हैं। इस तरह यात्री अपनी जान जोखिम मे डालकर यात्रा कर रहे हैं। सबसे बडी दुखद बात तो यह है कि जिला प्रशासन ने आज तक अपने कानो से रूई और आखो से काली पटटी नही निकाली।

सवाल यह उठता है कि हर रोज किसी ना किसी सड़क किनारे नाकाबंदी करने वाले आरटीओ इन बसों को आगे कैसे जाने देंते हैं और दिनभर मैदान में दौड़ते रहने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को ये बसें क्यों दिखाई नहीं देतीं। आरोप है कि आरटीओ केवल काली कमाई का जरिया मात्र बनकर रह गया है, जहां से सत्तारूढ़ दल सहित विपक्षी पार्टी के बड़े नेताओं एवं प्रशासनिक अधिकारियों तक हिस्सा पहुंचाया जाता है।

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