जनाब! कर्मचारियों का भी सम्मान है

राकेश दुबे@प्रतिदिन। मंत्रियों, सांसदों, सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और  बड़े पद पर कार्यरत अफसरों को सत्ता का घमंड होता है| देश के सामने  दो मामले उजागर हुए हैं| एक मामला गोरखपुर का है और दूसरा पटना का| गोरखपुर विकास प्राधिकरण के एक माली को केवल इसलिए धारा 151 के तहत जेल भेजा गया, क्योंकि वह जब घास काट रहा था तो धूल उड़ रही थी।  दुसरे में मंत्रीजी प्रतिबंधित द्वार से हवाई अड्डे में घुसने चाहते थे|

मंत्री, सांसद, अधिकारी जिन लोगों पर कानून बनाने, उसका पालन करवाने की जिम्मेदारी होती है, वे ही कैसे मखौल उड़ा रहे हैं। इससे जो अराजकता का माहौल बनता है, उसकाखामियाजा जनता ही भुगतती है।

पटना के विमानतल परकेन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता राज्यमंत्री रामकृपाल यादव निकास द्वार से प्रवेश करने जारहे थे। तब वहां मौजूद केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की महिला सिपाही ने उन्हें रोका। मंत्रीमहोदय फिर भी निकास द्वार से ही जाने कीकोशिश में थे। उनका कहना था कि उनके साथआए लोग रुक जाएंगे, लेकिन उन्हें जाने दिया जाए।  सवाल यह  है कि  यादव को निकास द्वार से ही प्रवेश करने की क्यों सूझी? वे पहली बार विमानतल नहींगए होंगे, न ही विमानतल पर नियमों को तोडऩे केखतरे से अपरिचित होंगे, फिर ऐसी हरकत उन्होंने क्यों की? 
  
केन्द्रीय उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू नेभी बड़ी शान से बताया था कि वे हवाई यात्रा के दौरान माचिस की डिब्बी लेकर चलते हैं और कानून तोड़ते हैं। अतिविशिष्ट श्रेणी के बहुत से लोग सुरक्षा जांच जैसे नियमों में छूट कालाभ उठाते हैं। ये लोग साधारण लोगों की तरह कतार में रहकर अपनी बारी आने की प्रतीक्षानहींकरते। बल्कि सीधे विमान में जाकर अग्रिम पंक्ति में बैठते हैं। क्या इतनी सुविधा, जो इन्हें आमजनता से अलग दर्जा देती है, इन्हें पर्याप्त नहींलगती, जो वे नियमों को तोडक़र अपनी विशिष्टताप्रदर्शित करते हैं। ये नियम केवल आम जनता की ही नहीं, उनकी सुरक्षा के लिए भी जरूरी होते हैं। और इस सब ज्यादा जरूरी होता है उस कर्मचारी का सम्मान जो डियूटी पर मुस्तैद है |

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