कांफीडेंट नहीं थी कांग्रेस, टल गया राहुल गांधी का कार्यक्रम

भोपाल। मप्र कांग्रेस की लचर व्यवस्थाओं के चलते कांग्रेस के वीपी राहुल गांधी का महू दौरा टल गया है। यह 29 मई को तय हुआ था परंतु अब 2 जून तक के लिए टाल दिया गया है। इसके पीछे बहाने तो कई बनाए जा रहे हैं परंतु वास्तविकता यह है कि कांग्रेसी ही कांफिडेंट नहीं थे। वो राहुल गांधी की सभा में भीड़ जुटाने में असमर्थ रहे और इससे पहले कि 'इज्जत का फालूदा' बनता, कार्यक्रम को टाल दिया गया। हाईकमान में पीसीसी प्रेसीडेंट को दिल्ली तलब कर लिया है। 

ये रहा बहना नंबर 1 
पार्टी ने कार्यक्रम में बदलाव 2 जून को डॉ.भीमराव आंबेडकर के वकालत की डिग्री लेने के 100 साल पूरे होने के मद्देनजर किया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने बताया कि डॉ.अम्बेडकर ने 2 जून 1915 को कोलंबिया से वकालत की डिग्री हासिल की थी। 2015 को इस उपलब्धि के सौ साल पूरे हो रहे हैं, इसलिए पार्टी ने डॉ.आंबेडकर की जन्मस्थली महू से सालभर चलने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत दो जून को करने का फैसला किया है।

और ये है बहाना नंबर 2 
कांग्रेस पदाधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के 29 मई के महू दौरे के टलने की एक वजह शादियां भी हैं। प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारियों से जब कार्यक्रम की तारीख को लेकर पूछताछ की गई थी तो कईयों ने 26 से लेकर 29 मई के बीच वैवाहिक कार्यक्रमों की अधिकता का मुद्दा उठाया था।

ये है असलियत नंबर 1 
29 मई को राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्द्धन सिंह का विवाह आयोजित है। मप्र कांग्रेस में ज्यादातर दिग्विजय सिंह समर्थकों का दबदबा है। समस्या यह थी कि राहुल गांधी की सभा में जाएं या अपने आका दिग्विजय सिंह के बेटे की शादी में। ज्यादातर कांग्रेसियों ने दिग्विजय सिंह के बेटे की शादी में जाना पसंद किया, क्योंकि वो जानते थे कि कांग्रेस में अब तक उन्हें जो भी मिला है या भविष्य में जो भी मिलने की उम्मीद है वो दिग्विजय सिंह की कृपा से ही है। राहुल गांधी की सभा में तो केवल चेहरा दिखाओ प्रतियोगिता होनी है, उससे कोई लाभ नहीं मिलने वाला। हालात यह बने कि जिन नेताओं से उम्मीद लगाई जा रही थी कि वो सैंकड़ों समर्थकों के साथ राहुल गांधी का स्वागत करेंगे, उन्हें स्पष्ट रूप से इस कार्यक्रम में शामिल होने से इंकार कर दिया। 

ये रही असलियत नंबर 2 
पीसीसी प्रेसीडेंट अरुण यादव की स्थिति आज भी मप्र कांग्रेस में प्रथम पंक्ति के नेताओं में नहीं हो पाती। अरुण यादव के व्यक्तिगत सामर्थ्य पर 50 हजार की सभा संभव नहीं है, ऐसे में राहुल गांधी की सभा का दारोमदार बिना दिग्विजय सिंह, सिंधिया और कमलनाथ के संभव ही नहीं था। नेताओं ने स्पष्ट कर दिया था कि जो उम्मीद पीसीसी ने उनसे लगाई है वो उसे पूरा नहीं कर पाएंगे। विधायकों ने भी पीसीसी के टारगेट स्वीकारने से इंकार कर दिया है। 

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