अतिथि शिक्षकों की गिरफ्तारी पर सीएम के नाम खुलाखत

रतीराम श्रीवास/टीकमगढ। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व्यापंम घोटाले से तिलमिलाकर अहंकार में आकर खुलेआम गुण्डागर्दी पर उतारू प्रदेश सरकार की रिश्वतखोर पुलिस ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व ग्रह मंत्री के दवाव मे आकर जिस अंदाज मे जगदीश शास्त्री को रात्रि मे घर मे घुसकर एक संगीन अपराधी की भाति उठा ले जाना और अतिथि शिक्षकों पर कहर बरपा कर जेल मे डाल देना बिना किसी अपराध के बंदी बनाना खुलेआम गुण्डागर्दी नही है तो क्या है।

प्रदेष के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सत्ता के सुख का आनंद लेते शायद यह भूल गये हे की भारतीय संविधान मे देश के प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार है जिनका हनन करने का अधिकार किसी को नही है। चाहे वो प्रदेश का मुख्यमंत्री हो या गुण्डा मावाली हो। मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी की जागीर नही है, हर आने वाले विधानसभा चुनाव मे बदली जा सकती है। अगर अतिथि शिक्षकों को अपना हक मांगना मुख्यमंत्री को नागवार लग रहा तो पद से इस्तीफा क्यों नही दे देते। क्योकि हर जरूरतमंद की उम्मीद और आशा रहती की हमारे द्वारा किया गया कार्य परिश्रम का प्रतिफल मिले। पहले भी अतिथि शिक्षक आपको बता चुके की हम अपना मुख्यमंत्री आपको नही माने तो किसको माने यूपी के मुख्यमंत्री को या पूर्व मुख्यमंत्री को।

राज्य की बागडोर संभालना कोई बचकानापन का खेल नही है एक गंभीर सुशील बुद्धजीवी नागरिक को ही प्रदेश की जिम्मेदारी का भार सौपा जाता है, अगर आपकी नजर मे अतिथि शिक्षकों की मांग अनुचित है तो आप बताये की उचित क्या है। अतिथि शिक्षक अपने बीबी बच्चों सहित वृद्ध माता पिता का भरण पोषण कैसे करे। आप आगे आकर बताये की अतिथि शिक्षक ये रास्ता अपनाये। अपना पक्ष सामने लाएं। लगता है की शिवराज सिंह को यह मालूम नही है कि राजा का सबसे महत्वपूर्ण गुण कौन है। राजा वही कहलाता जिसके हाथ सजा देने मे पीछे होते हैं और दान देने मे हाथ आगे होते हैं। धर्मशास्त्रों मे बताया गया है कि ईष्वर जिसको दुख देता हैं उसकी बुद्धी पहले हर लेता हैं। यही हाल शिवराज सिंह चौहान का हो गया है। इसीलिये बिना सोच विचार किये कोई भी कदम आगे बढा रहे हैं। आप अतिथि शिक्षकों की माॅग उचित है क्योकि उन्होने शिक्षक विहीन शालाओं मे शिक्षण कार्य संपन कराया है। शालाओं मे दर्ज बच्चो का भविष्य और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ध्यान रखकर शिक्षण कार्य संपंन कराया है। प्रदेश सरकार को इनकी माॅगे मान लेना चाहिये। नीति और धर्म दोनो यही चाहते हैं।

प्रदेश सरकार मे हिम्मत है तो प्रदेश सहित टीकमगढ जिला मे सताधारी पार्टी के नेताओ पर संगीन अपराध दर्ज हैं, भ्रष्टाचार मे लिप्त अधिकाॅश स्वःसहायता समूह भाजपा नेताओ के पास हैं, जो बच्चों के मुह का निबाला छीनकर अपनी तौंद बढा रहे हैं। उचित मूल्य की दुकानो पर गरीबों को मिलने वाला राशन गेंहू चावल कैरोसिन को अधिकारी नेताओं की सांठ गांठ से खुलेआम कालाबाजारी की जा रही है। रोजगार की तलाश मे गरीब महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं। बेरोजगार रोजगार की तलाश मे इधर उधर भटक रहे हैं। भ्रष्टाचार कम होने की जगह दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है। इन तत्वों को जेल तक पहुचायें समय आने पर प्रदेश की जनता बराबर हिसाब करेगी आप से।

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