रीवा। ननि में चल रही मनमानी का एक और मामला सामने आया है। जिसमें नियुक्तियों में गड़बड़ी की गई है। बैकलॉग के जिन पदों पर व्यवसायिक परीक्षा मंडल द्वारा नियुक्ति की जानी थी, उसे नगर निगम ने ही कर दिया। निगम ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित कर यह प्रक्रिया पूरी की।
सफाई संरक्षक के पदों में सामान्य वर्ग के कर्मचारियों का नियमितीकरण करने के बाद फिर से मस्टर में श्रमिक के रूप में कर्मचारी बना दिया। नगर निगम में जिस दौरान कम्प्यूटर ऑपरेटर का पद स्वीकृत नहीं था उस दौरान भी मस्टर में कर्मचारी रखे गए जबकि शासन का निर्देश था कि संस्था में कार्यरत कर्मचारियों को ही प्रशिक्षण दिया जाए और कम्प्यूटर का काम लिया जाए। इसके बावजूद कर्मचारी रखे गए जिससे संस्था को आर्थिक भार पड़ा।
65 की जगह 90 प्रतिशत बढ़ाया खर्च
स्थापन व्यय के लिए नगर निगम को 65 प्रतिशत तक राशि खर्च करने का अधिकार है। लेकिन नगर निगम की ओर से वर्ष 2013 में 90 फीसदी से अधिक व्यय की सीमा पहुंचा दी। इस पर आडिट में आपत्ति उठाई गई है कि इससे संस्था को आर्थिक क्षति पहुंची है इस वजह से आय के साधन बढ़ाए जाएं और व्यय का अनुपात कम किया जाए।
आर्थिक संकट बढ़ा, देनदारी पहुंची 28 करोड़
नगर निगम में व्यय अनियमित रूप से होने के चलते आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है। बीते मार्चमहीने तक निगम की देनदारी करीब 28 करोड़ पहुंच चुकी है। कई मदों में फिजूलखर्ची भी हुई है। देनदारियों के भुगतान के लिए कोई ठोस योजना भी नहीं बनाईगई है, जिस वजह से राशि बढ़ती ही जा रही है। बिजली विभाग के बकाया को लेकर तकरार भी चल रही है। दोनों ओर से कई पत्राचार हाल ही में हुए हैं।
नगर निगम की आय के साधन बढ़ाए जा रहे हैं, देनदारियां भी कम की जायेंगी। साथ ही जिन प्रकरणा में आडिट आपत्तियां हैं उनके निराकरण की कार्रवाई चल रही है।
शैलेन्द्र शुक्ला, प्रभारी आयुक्त