खेती के लिए बच्चों को बंधुआ भेजा

हरदा। हम भले ही कितने विज्ञापन जारी कर खुश हो लें लेकिन किसानों की हालत बदतर थी और बदतर ही है। इसका जीता जागता प्रमाण है हरदा कांड जिसमें एक किसान ने अपने बच्चों को केवल इसलिए बंधुआ भेज दिया क्योंकि उसे अपने खेत में पानी देने के लिए मोटर खरीदनी थी। सोचा था फसल अच्छी होगी तो बच्चों को बंधुआ छुड़ा लेगा, लेकिन...।

खरगौन जिले के मोहनपुरा गांव से हरदा आए बेजू के पिता लालू ने यह खुलासा किया कि उनके साढ़े तीन एकड़ के खेत में सिंचाई करने ट‌्यूबवेल की मोटर लगाने को पैसे नहीं थे।

इसी कारण बेजू और दूसरे बेटे को पैसे लेकर एक साल के लिए बंधुआ रख दिया था। नाबालिग बच्चों को गडरिए के पास बंधुआ रखने के पीछे माता-पिता की गरीबी व मजबूरी की वजह सामने आई है। खरगौन जिले के मोहनपुरा गांव से 11 साल के बेजू के माता-पिता पूरी दोपहर सिटी थाना परिसर में बैठे रहे।

दूसरे बालक 13 वर्षीय टीसू का भाई भी इसी गांव से आया है। इनसे पुलिस और सीडब्ल्यूसी दोनों ने इनसे पूछताछ की है। परिजनों ने स्वीकार किया कि बच्चों को बंधुआ रखकर पैसे लेने के अलावा उनके पास कोई दूसरा चारा नहीं था। टीसू के भाई सुनील ने यह खुलासा किया कि वह खुद भी बंधुआ जा चुका है। हर साल गडरिए बच्चे लेने गांव आते हैं। गरीबी के कारण माता-पिता सालभर के लिए अपने बच्चों को बंधुआ भेज देते हैं।

पानी की मोटर लाया था
हमने अपने दोनों लड़के साल-भर के लिए गडरिए के पास पैसे लेकर बंधुआ रखे थे। वे उनसे भेड़ चरवाता था। खेत में बोरिंग करवा ली थी। मोटर के लिए पैसे नहीं थे। बच्चों के बदले में जो रुपए मिले उससे पानी की मोटर लाया था।

याद तो आती थी
गरीबी के कारण घर का गुजारा नहीं होता था। दोनों बच्चे सालभर के लिए मजदूरी पर दिए थे। गडरिया बच्चों को भूखा रखता, मारता था। यह हमें मालूम नहीं चला। वह तो कहता था बच्चों को अच्छे से रख रहा हूं।

....और मुझे भी तो बंधुआ रखा था
टीसू का भाई सुनील ने बताया की जब मैं छोटा था, मुझे भी पिता ने गडरिए के पास भेड़ चराने बंधुआ रखा था। अब मेरे छोटे भाई गिरवी रखा गया है। इसके बदले में गड़रिया पैसा दे जाते हैं। उसी से घर चलता है।

छह घंटे चली सुनवाई
खंडवा बायपास रोड पर केंद्र में बाल कल्याण समिति ने इस मामले की सुनवाई छह घंटे तक की। दाेपहर लगभग एक बजे चाइल्ड लाइन ने दोनों बच्चे सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किए थे। दोनों बच्चों को जिला अस्पताल भिजवाकर उनकी मेडिकल जांच कराई। बच्चों के परिजनों को भी बुलवाया गया। उनसे पूछताछ चलती रही। इसमें शाम के सात बज गए। सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष वेद विश्नोई व समिति सदस्य राजेश वर्मा, जितेंद्र खनूजा व वीणा त्रिपाठी ने सुनवाई की।

हेमला व भूरा को हाजिर करवाएंगे
बच्चों को गिरवी रखकर भूरा को बेचने वाले हेमला गडरिए को सीडब्ल्यूसी में हाजिर करवाया जाएगा। बेजू के पिता लालू से फोन पर हेमला गडरिए से बात करवाई गई। इनका दूसरा लड़का हेमला के पास ही है। हेमला और भूरा को हरदा आने को कहा गया है। अगर कोई अड़चन आई तो इन दोनों को हरदा लाने में पुलिस की मदद ली जाएगी।

सीडब्ल्यूसी करेगी निर्णय
हरदा में बालगृह नहीं है। हमने दोनों बच्चों को चाइल्ड लाइन में रखा है। इनके परिजनों को लॉज में ठहरवा दिया है। अब सीडब्ल्यूसी निर्णय देगी कि बच्चों को कहां भेजना है। उन्हें माता-पिता के सुपुर्द नहीं करते हैं तो कुछ समय के लिए बालगृह भेजा जा सकता है।
विष्णु जायसवाल, डायरेक्टर चाइल्ड लाइन हरदा

तीसरा बच्चा भी ढूंढ़ना है
दोनों बच्चों को फैसला होने तक चाइल्ड लाइन के सुपुर्द किया गया है। तीसरा बच्चा और है उसकी बरामदगी के लिए एसपी को पत्र लिखा है। तीन स्तर पर चाइल्ड लाइन से रिपोर्ट मांगी गई है। इसी के आधार पर फैसला लेंगे।
वेद विश्नोई, अध्यक्ष सीडब्ल्यूसी हरदा

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