बिहार: संविदा कर्मचारी परमानेंट होंगे

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भोपाल। बिहार की सरकार ने करीब 3 लाख संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का रास्ता साफ कर दिया है। मंगलवार को राज्य कैबिनेट ने इस संबंध में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन करने का निर्णय लिया. यह कमेटी कांट्रैक्ट पर नियुक्त कर्मियों की सेवा स्थायी करने के तरीकों पर विचार करेगी.

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी  में वित्त विभाग, सामान्य प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पीडब्ल्यूडी और जल संसाधन विभागों के प्रधान सचिवों को सदस्य बनाया गया है. यह कमेटी कांट्रैक्ट कर्मियों की सेवा स्थायी करने के सभी बिंदुओं पर विचार कर सरकार को अनुशंसा करेगी. कमेटी की अनुशंसा पर राज्य सरकार आगे निर्णय लेगी. इस फैसले से डॉक्टर, इंजीनियर, ममता कार्यकर्ता, डाटा इंट्री ऑपरेटर, पंचायत रोजगार सचिव, आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिका, सेविका और सहायिका, टोला सेवक समेत  प्रखंड कार्यालय से राज्य मुख्यालय में कार्यरत ऐसे कर्मियों की सेवा स्थायी की जा सकेगी.

कैबिनेट ने किशनगंज के कोचाधामन प्रखंड में 30 एकड़ में पुलिस केंद्र की स्थापना को मंजूरी दी. जल संसाधन विभाग के अवर अभियंता संवर्ग भरती नियमावली, सहकारिता विभाग की लिपिक संवर्ग (संशोधन) नियमावली 2015 को मंजूरी दी गयी. बेतिया के तत्कालीन जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ अरुण तिवारी की सेवा को समाप्त कर दिया गया है.

कैबिनेट की बैठक में गरीब सवर्ण विद्यार्थियों को भी आरक्षित कोटि के विद्यार्थियों की तरह छात्रवृत्ति और प्रोत्साहन राशि दी जायेगी.  इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग के नौवीं व 10वीं के विद्यार्थियों को 150 रुपये मासिक छात्रवृत्ति मिलेगी. इसके लिए संबंधित संबंधित सवर्ण परिवार की आय सालाना डेढ़ लाख से कम होना अनिवार्य है. यानी सालाना डेढ़ लाख से कम आयवाले ऊंची जाति के परिवार के बच्चों को मासिक छात्रवृत्ति दी जायेगी.

इसके अलावा राज्य सरकार ने ऊंची जाति के गरीब लड़कों को मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास करने पर 10 हजार रुपये दिये जायेंगे. हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मधुबनी की एक सभा में कहा था कि गरीब सवर्ण परिवार के बच्चों को भी छात्रवृत्ति दी जायेगी. वर्तमान में पिछड़े, अति पिछड़े, एसी व एसटी वर्गो के बच्चों को छात्रवृत्ति मिलती है. इन्हें कक्षा 1-4 के लिए सालाना 600 रुपये, कक्षा 5-6 के लिए 1200 और कक्षा 7-8 के लिए 1800 रुपये मिलते हैं.

राज्य कैबिनेट की बैठक में पिछड़ी जाति में आने वाले तेली और चौरसिया जातियों को अत्यंत पिछड़ी जाति में शामिल करने की मंजूरी दी है. अब तक ये दोनों जातियां पिछड़ी जातियों की श्रेणी में थीं.
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