शिक्षा विभाग को पता नहीं शिक्षकों की योग्यता क्या है

इंदौर। जिले में स्कूली शिक्षा की कमान संभालने वाले अधिकारियों का प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण ही नहीं है। यही कारण है कि अधिकारी स्कूलों से बगैर बीएड-डीएड पढ़ाने वालों की जानकारी नहीं जुटा पा रहे। इन्हें 15 मार्च तक जानकारी शासन को भेजनी थी, जबकि ये अब तक जुटाई नहीं जा सकी है। अब शासन ने खुद अधिकारियों पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।

स्कूली शिक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें तो होती हैं, लेकिन कुछ महीनों से माध्यमिक शिक्षा मंडल से जुड़ी कुछ ऐसी बातें सामने आ रही हैं, जिनसे लगता है कि ये सब हवाहवाई हैं। दरअसल, अब निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता जांचने की कवायद होने लगी है। मगर कई दिनों की कोशिशों के बाद भी शासन को स्कूलों से कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।

जांचेंगे कैसे कि कौन कितना योग्य!
पहले शिक्षकों की योग्यता जांचने के लिए कभी कोई अभियान नहीं चलाया गया। ऐसी कोई प्रक्रिया भी नहीं है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि शिक्षक कितने योग्य हैं। ऐसे में स्कूल वाले कम वेतन पर कम योग्य लोगों को शिक्षक बनाकर बच्चों के सामने खड़ा कर देते हैं। अधिकतर जगहों पर तो बच्चों का भविष्य गाइड या बीते सालों के नोट्स के भरोसे छोड़ दिया जाता है। इसे गंभीरता से लेते हुए कुछ दिन पहले शासन ने जिला शिक्षा अधिकारी से प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों की योग्यता संबंधी जानकारी मांगी थी। डीईओ को 15 मार्च तक शासन को बताना था कि स्कूलों में कितने शिक्षक बीएड-डीएड हैं और कितने अब भी बगैर योग्यता पढ़ा रहे हैं। मगर तय समय सीमा में यह जानकारी ही इकट्ठा नहीं की जा सकी।

शासन ने दी चेतावनी
डीईओ द्वारा जानकारी न भेजे जाने पर शासन ने चेतावनी दी है कि जानकारी न मिलने पर या अयोग्य शिक्षकों के पाए जाने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर आरटीई के तहत कार्रवाई होगी।

लगातार फेल हुई प्लानिंग
ऐसा लगातार हुआ है। स्कूली शिक्षा विभाग ने पहले प्राइवेट स्कूलों में परीक्षाएं न करवाने की बात कही, मगर बाद में उन्हें इन स्कूलों को भी परीक्षा केंद्र बनाना ही पड़ा। इसके बाद प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों से कॉपियां न जंचवाने की योजना बनाई गई। मगर यह मामला भी अब तक निपटा नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कहीं शिक्षकों की योग्यता जांचने की कवायद भी फेल न हो जाए।

जबकि यहां तो गली, मोहल्लों के घरों में चल रहे हैं स्कूल
प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले कई शिक्षक न तो योग्य होते हैं, न ही प्रशिक्षित। इसे साबित करने के लिए यह काफी है कि शहर के कई गली-मोहल्लों में घरों में ही स्कूल खोल लिए गए हैं। यहां न पर्याप्त साधन-सुविधाएं जुटाने की कोशिश की जाती हैं और न ही प्रॉपर पढ़ाई की। कई स्कूलों में एक ही शिक्षक एक क्लास के सभी विषय पढ़ा रहा है, तो कई जगहों पर एक ही कमरे में जरूरत से ज्यादा बच्चों को ठूंस दिया जाता है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि गली-मोहल्ले के स्कूलों पर किसी की नजर नहीं है। ऐसे में यहां पढ़ाने वालों की योग्यता और प्रशिक्षण पर निगाह रखना तो दूर की बात है।

शासन के आदेश के बाद से हम प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों की जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए हमने संकुल प्राचार्यों को पत्र लिखा है। दो-तीन दिन में जानकारी मिलने पर शासन को भेज देंगे।
किशोर शिंदे, डीईओ, इंदौर

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