नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बहुप्रतिक्षित रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) बिल को कुछ बड़े बदलावों के साथ मंजूरी दे दी गई। नए बिल में बिल्डर के साथ प्रॉपर्टी ब्रोकर को भी दायरे में लाने का प्रावधान किया गया है। इस बिल में बिल्डरों और ब्रोकर के लिए सख्त नियमों का प्रावधान किया गया है। बिल्डर और ब्रोकर के बिल में किए गए नए प्रावधानों में से कुछ पर आपत्ति दर्ज कराई है। रियल्टी सेक्टर के हितधारकाकें के अनुसार बिल में अभी और बदलाव करने की जरूरत है।
किन बिंदुओं में बदलाव की जरूरत
क्रेडाई प्रेसिडेंट और एटीएस ग्रीन के सीएमडी गीतांबर आनंद ने मनी भास्कर को बताया कि बिल में कुछ अच्छे बदलाव किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद कुछ नियमों में संशोधन किए जाने की जरूरत है जैसे कि प्रोजेक्ट का ऑटोमेटिक रजिस्ट्रेशन, प्रोजेक्ट को कैंसिल करने से पहले डेवलपर को अपना पक्ष रखने का समय दिया जाना, प्री-लॉन्च प्रोजेक्ट में रेगुलेटर के पास एंट्री की समय-सीमा तय किया जाना और अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट की रजिस्ट्री रेगुलेटर के साथ किया जाना।
उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रेशन ऑटोमेटिक नहीं होने से तय समय पर प्रोजेक्ट को सैंक्शन नहीं मिल पाएगा। इससे प्रोजेक्ट में देरी होगी और घूसखोरी बढ़ने का चांस होगा। प्रोजेक्ट कैंसिल करने से पहले डेवलपर को पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। प्री-लॉन्च प्रोजेक्ट के मामले में अगर डेवलपर सभी तरह का पेपर वर्क कर भी लेता है और इसके बावजूद रेगुलेटर से मंजूरी हीं मिलती है तो डेवलपर कहां जाएगा। इस पर स्पष्टता होनी चाहिए। अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री रेगुलेटर के पास होने से प्रोजेक्ट का काम धीमा हो जाएगा।
सरकारी एजेंसियों को शामिल नहीं करना
अंतरिक्ष ग्रुप के डायरेक्टर राकेश यादव ने मनी भास्कर को बताया कि प्रोजेक्ट में देरी होने की बड़ी वजह सरकारी एजेंसियों से स्वीकृति मिलने में विलंब होता है। सरकार को रियल एस्टेट बिल के दायरे में सरकारी एजेंसियों को भी लाना चाहिए। ऐसा करने से एजेंसियां अपना काम सही ढंग से करेगी और समय पर प्रोजेक्ट की स्वीकृति मिलेगी।
ब्रोकर कैसे जिम्मेदार
प्रॉपर्टी कंसल्टिंग फार्म फिनलेस के डायरेक्टर पवन जसूजा ने मनी भास्कर को बताया कि बिल में ब्रोकर को दायरे में लाने का प्रावधान सही नहीं है। अगर हम किसी बिल्डर का प्रोजेक्ट सेल करते हैं और वह खरीदार के साथ गलत करता है तो हम कैसे जिम्मेदार है। ये तो ऐसा हो गया कि एलजी का टीवी बिग बाजार बेच रहा है और खराबी हुई तो एलजी पर न केस कर के बिग बाजार पर मामला दर्ज कराया जाए। इस मुद्दे पर और पारदर्शिता लाने की जरूरत है क्योंकि ब्रोकर तो सिर्फ सेल करने का काम करता है। प्रोजेक्ट लाने से लेकर बनाने का काम तो बिल्डर करता है।
प्री-लांच रोक: छोटे डेवलपर के लिए खतरे की घंटी
डीएलएफ के ईडी राजीव तलवार ने मनीभास्कर को बताया कि रियल एस्टेट बिल में किए गए बदलाव से रियल्टी सेक्टर में पारदर्शिता आएगी। रियल एस्टेट सेक्टर में नया दौर शुरू होगा। छोट या बड़े डेवलपर को प्रोजेक्ट समय पर पूरा करना होगा। प्री-लॉन्च प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से छोटे डेवलपर को पैसा जुटाने में कठिनाई होगी। वहीं, सभी राज्य में एक तरह के कानून होने से बिल्डर के लिए काम करना आसान होगा।
वैंकेया नायडू ने बिल को लेकर क्या कहा
शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि इस बिल से रियल एस्टेट बिल्डर, खरीदार और सभी हितधारकों को फायदा मिलेगा। रियल एस्टेट सेक्टर काफी तेजी से तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए इस बिल की सख्त जरूरत थी। बिल को लाने से पहले सभी हितधारकों से बात किया गया है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को फायदा पहुंचाना होगा। हमने बिल में बिल्डर और बायर्स को बैलेंस करने का प्रयास किया है। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को फायदा मिलेगा।
बिल में किए गए बड़े बदलाव
किसी भी प्रोजेक्ट के ले-आउट में बदलाव करने के लिए बिल्डर को दो तिहाई खरीदारों से अनुमति लेनी होगी। किसी एक प्रोजेक्ट से 50 फीसदी से अधिक पैसा दूसरे खाते में ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा।
बिल्डर की ओर से विज्ञापन में दिए हुए वादों को हर हाल में पूरा करना होगा।
कंस्ट्रक्शन में गड़बड़ी को ठीक कराने का दायित्व डेवलपर का होगा।
अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को भी रेगुलेटर के साथ तीन महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
कॉमर्शियल प्रोजेक्ट को भी बिल के दायरे में लाया गया है।
राज्य सरकार को एक साल के अंदर बिल लागू करना होगा।
इन सवालों का मिलेगा जवाब ?
सवाल यह उठता है कि क्या बिल आने से रियल एस्टेट में पारदर्शिता बढ़ जाएगी? क्या बिल लागू हो जाने के बाद बिल्डर के लिए प्रोजेक्ट लांच करना और उसे पूरा करना कठिन हो जाएगा? क्या डेवलपर खरीदारों के साथ धोखाधड़ी नहीं कर पाएंगे?