नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में घिरे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बुधवार बड़ी राहत दी। शीर्ष अदालत ने घोटाले में सीबीआई ट्रायल कोर्ट की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री, हिंडाल्को प्रमुख और पूर्व कोयला सचिव समेत छह लोगों को जारी समन पर रोक लगा दी है। इसके फैसले के चलते अब उन्हें 8 अप्रैल को कोर्ट में पेश नहीं होना पड़ेगा।
सुनवाई पूरी होने तक कोई कार्यवाही नहीं
जस्टिस वी गोपाल गौड़ा और सी नागप्पन की पीठ ने दोपहर मनमोहन सिंह की याचिका पर सुनवाई की। याचिका स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा, जब तक वह इस याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं कर लेते, तब तक ट्रायल कोर्ट में कोयला घोटाले मामले में सुनवाई नहीं होगी। इस तरह से मनमोहन सिंह को अब बतौर आरोपी पेश नहीं होना होगा। कोर्ट के इस फैसले से पूर्व कोयला सचिव पीसी पारिख, हिंडाल्को प्रमुख, कंपनी के दो अधिकारी शुभेंदु अमिताभ और डी. भट्टाचार्य समेत एक अन्य को भी पेशी से राहत मिली है, जिन्हें सीबीआई कोर्ट ने बतौर आरोपी पेश होने के लिए समन भेजा था।
सीबीआई-सरकार से जवाब तलब
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर अपना फैसला सुनाने के बाद सीबीआई को एक नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। वहीं पीठ ने भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा (13) (1) (डी) (3) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है।
- बचाव पक्ष की दलीलें
- पीएम की प्रशासनिक गतिविधियों को इस आधार पर त्रुटिपूर्ण नहीं कहा जा सकता कि इसमें स्क्रीनिंग कमेटी की प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया
- प्रशासनिक फै सले गलत हो सकते हैं लेकिन उन्हें अपराध नहीं कहेंगे
- सुप्रीम कोर्ट ने स्क्रीनिंग कमेटी को गैरकानूनी बताकर सभी ब्लॉकों का आवंटन रद्द किया था लेकिन इसी कमेटी की सिफारिशें लागू न करने पर पूर्व पीएम को समन कर रही है
- आपराधिक साजिश के लिए साठगांठ जरूरी है। निजी क्षेत्र को कोल ब्लॉक आवंटन अपराध नहीं
- जज क्लोजर रिपोर्ट को संज्ञान में ले सकते हैं लेकिन जांच की प्रकृति का फैसला नहीं कर सकते
मैं यह स्वीकार करूंगा कि मैं यह पता नहीं लगा पाया हूं कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने क्या गैरकानूनी काम किया है।
कपिल सिब्बल, मनमोहन सिंह के वकील