योग का मतलब हिन्दुत्व नहीं होता: अमेरिकी अदालत का फैसला

सेंट्रल डेस्क। पूरे अमेरिका में सबसे ज्यादा सैन डिएगो में 5600 बच्चे योग सीख रहे हैं। यहां योग सिखाने के खिलाफ दो बच्चों के पैरेंट्स ने मुकदमा दायर किया था। इस पर सैन डिएगो की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि योग न तो हिंदुत्व को बढ़ावा देता है और न ही क्रिश्चियनिटी को रोक रहा है। यह पूरी तरह सेक्युलर और शारीरिक मजबूती के लिए है।


क्या है मामला
सैन डिएगो में एक एनजीओ के.पी. जॉइस फाउंडेशन ने अष्टांग योग प्रोग्राम 2011 में शुरू किया था। इस प्रोग्राम के तहत डिस्ट्रिक्ट के कई स्कूलों में बच्चों को सूर्य नमस्कार और बाकी योगासन सिखाए जा रहे हैं। एनजीओ के एक्सपर्ट्स हफ्ते में दो बार अलग-अलग स्कूलों में जाकर 30-30 मिनट की योग क्लासेस लेते हैं। 4 साल पहले 30 परिवारों ने अपने बच्चों को योगासन सिखाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। अब योग सीख रहे बच्चों की संख्या बढ़कर 5600 हो गई है। स्कूल इसे अमेरिका में पारंपरिक जिम क्लासेस के विकल्प के तौर पर अपना रहे हैं।

क्यों उठी आपत्ति
स्टीफन और जेनिफर सेडलॉक ने स्कूलों में उनके बच्चों को योगासन सिखाए जाने के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। पैरेंट्स ने अपनी अर्जी में कहा था, ‘‘योग हिंदुत्व को बढ़ावा देता है। यह क्रिश्चियनिटी को रोकता है।’’ जुलाई 2013 में सेन डिएगो के सुपरियर कोर्ट के जज जॉन मेयर ने डिस्ट्रिक्ट स्कूल यूनियन का पक्ष लेते हुए मुकदमा खारिज कर दिया था। इसे फोर्थ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ऑफ अपील में चुनौती दी गई।

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