विकसित गुजरात में अंधविश्वास के उदाहरण पर सुप्रीम कोर्ट हेरान

नई दिल्ली। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि किस तरह आसाराम के बेटे नारायण साईं सिर पर मोर पंख लगाकर कृष्ण बनते हैं और महिलाएं गोपी बनकर उनके साथ नाचती हैं। उनके हजारों समर्थक हैं जो हंगामा कर सकते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि हम हैरान हैं कि ये सब प्रगतिशील और विकासशील गुजरात में हो रहा है, किसी आदिवासी इलाके में नहीं।

दरअसल गुजरात हाइकोर्ट ने नारायण साईं को मां के इलाज के लिए 4 मई से तीन हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है। साथ ही शर्तें भी लगाई हैं कि वो 24 घंटे पुलिस निगरानी में रहेंगे और रहने की जगह व अस्पताल के अलावा कहीं नहीं जाएंगे। इस आदेश के खिलाफ गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी और कहा था कि ऑपरेशन के लिए कोई तारीख मुकर्रर नहीं है। अगर साईं को बाहर निकाला जाएगा तो कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है क्योंकि हजारों समर्थक वापस जेल ले जाते वक्त हंगामा कर सकते है।

हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि ऑपरेशन की तारीख तय होने पर ही साईं को अंतरिम जमानत दी जाएगी। सुनवाई के दौरान जस्टिस टीएस ठाकुर ने पूछा कि क्या नारायण साईं भी अपने पिता आसाराम की तरह मशहूर हैं। इस बात पर गुजरात सरकार के वकील ने बताया कि खुद को बचाने के लिए साईं ने पुलिस इंस्पेक्टर को 8 करोड़ रुपये की घूस देने की कोशिश की। यहां तक कि एक अहम गवाह की हत्या भी हो चुकी है। उनके हजारों समर्थक हैं और सरकार को संदेह है कि वो कोई हंगामा कर सकते हैं।

कोर्ट ने कहा कि अगर पुलिस को लगता है कि इन सबके पीछे साईं हैं तो इन मामलों में भी उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। नारायण साईं दिसंबर 2013 से ही सूरत में दो बहनों के रेप केस में जेल में बंद हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि जब तक अहम लोगों की गवाही नहीं होती, उन्हें नियमित जमानत नहीं दी जा सकती।

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