इस प्रदेश में चल पड़ा है अपहरण कर शादी कराने का रिवाज

पटना। बिहार में सामाजिक कारणों से अपहरण के ग्राफ में हो रही बढ़ोतरी चिंता का कारण बन गया है। बिहार पुलिस की मानें तो हर तीन घंटे में राज्य में किसी न किसी युवक या युवती का इसलिए अपहरण कर लिया जाता है, ताकि उसकी और उसके परिजनों की मर्जी के खिलाफ उसका विवाह करा दिया जाए। यानी प्रतिदिन सात लोगों को शादी के उद्देश्य से जबरन उठा लिया जाता है। सूबे के ग्रामीण इलाकों में ऐसी शादियां पकड़ुआ विवाह के नाम से जानी जाती हैं।

बिहार पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 2014 में राज्य में कुल 2526 युवक-युवतियों का उनकी मर्जी के खिलाफ विवाह के लिए अपहरण कर लिया गया। 2013 में इस तरह के कुल 2922 मामले दर्ज हैं। राज्य पुलिस मुख्यालय इसे आपराधिक वारदात से अधिक सामाजिक समस्या के रूप में देखता है। राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय कहते हैं कि इस तरह जबरन होने वाली शादियों को भी सामान्य शादियों की तरह ही सामाजिक मान्यता हासिल होती रही है। इसमें पुलिस की भूमिका काफी सीमित है।

दरअसल, इस तरह की शादियों को लेकर राज्य के कई जिले कुख्यात हो चुके हैं। कारण यह है कि इन जिलों में पकड़ुआ विवाह की प्रथा लंबे समय से चली आ रही है। इन जिलों में नवादा, बेगूसराय, लखीसराय और मुंगेर आदि शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि थानों में शादी के उद्देश्य से अपहरण की घटनाएं तो दर्ज होती हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर मामलों में आपसी समझौता हो जाने के बाद मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।

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