कंपनी में महिला डायरेक्टर बनाओ, नहीं तो खैर नहीं

मुंबई। मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने कहा है कि उन कंपनियों पर 50 हज़ार रुपए का फाइन लगाया जाएगा, जिनमें विमेन डायरेक्टर नहीं हैं। उसने यह भी कहा है कि अगर यह नियम सितंबर तक नहीं माना गया तो और भी कड़े कदम उठाए जाएंगे। सेबी ऐसा कदम प्रमोटरों और डायरेक्टर्स सहित कंपनियों के खिलाफ उठाएगा। 

सेबी ने चार चरणों में लगने वाली पेनल्टी का ढांचा तैयार किया है। इसमें समय के साथ फाइन बढ़ता जाएगा। हालांकि सेबी ने उन कंपनियों के नाम नहीं बताए, जो 31 मार्च तक कम से कम एक महिला डायरेक्टर अपॉइंट नहीं कर पाई हैं, लेकिन उसने चेतावनी दी थी कि इस नियम का पालन नहीं होने पर उनको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसके बावजूद कई कंपनियां तय समय सीमा खत्म होने से पहले इस नियम का पालन नहीं कर पाई हैं। इनमें सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं। 

सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों से नियम पालन नहीं करने वाली कंपनियों पर फाइन लगाने के लिए कहा था, क्योंकि यह लिस्टिंग अग्रीमेंट का उल्लंघन है। ऐसे में एक से ज्यादा एक्सचेंज की लिस्ट में शामिल होने से कंपनियों पर फाइन बढ़ता जाएगा। 

एक अनुमान के मुताबिक, बीएसई की लिस्ट में 1000 से ज्यादा और एनएसई में शामिल लगभग 200 कंपनियों ने यह नियम नहीं माना है। सेबी ने यह नियम पिछले साल फरवरी में बनाया था। इसकी डेडलाइन 1 अक्टूबर 2014 तय की गई थी। बाद में इसे छह महीने बढ़ा दिया गया। 

बुधवार को जारी फाइन के स्ट्रक्चर के मुताबिक कंपनियां अगले छह महीने में यानी 30 सितंबर 2015 तक इस नियम का पालन करके रेग्युलेटरी ऐक्शन से बच सकती हैं। इस नियम का पालन करने में 1 अप्रैल से 30 जून के बीच का वक्त लेने वाली कंपनियों को सिर्फ 50,000 रुपये की पेनल्टी देनी होगी। जो कंपनियां 1 जुलाई से 30 सितंबर के बीच इस नियम का पालन करेंगी, उनको 50,000 रुपए के साथ 1000 रुपये रोजाना के हिसाब से कंप्लायंस तक पेनल्टी देनी होगी। 

1 अक्टूबर 2015 के बाद इस नियम का पालन करने वाली कंपनियों को 1.42 लाख रुपये के साथ कम्पलायंस की तारीख तक 5,000 रुपये रोजाना की पेनल्टी देनी होगी। 

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