हेलमेट नहीं तो पेट्रोल नहीं: आदेश स्थगित

इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सूबे के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के मुख्य सचिव और इंदौर के डीएम से उस सरकारी फरमान को लेकर बुधवार को जवाब तलब किया जिसके तहत पेट्रोल पम्प पर ईंधन भराते वक्त दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया था।

याचिकाकर्ता वकील सौरभ मिश्रा ने संवाददाताओं को बताया कि हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति पीके जायसवाल और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की पीठ ने उनकी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को 6 अप्रैल तक अपना जवाब पेश करने का आदेश दिया है। मिश्रा ने बताया कि जिला प्रशासन ने आदेश जारी किया था कि बुधवार से दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल पम्प पर तभी ईंधन दिया जाएगा जब वे हेलमेट पहनकर पम्प पहुंचेंगे।

उन्होेंने इस आदेश को जनहित याचिका के जरिए चुनौती दी है। उन्होंने कहा, 'मोटर व्हीकल एक्ट में इस बात का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है कि चालकों को पेट्रोल भराने के लिए पम्प पर अपनी गाड़ी खड़ी करते वक्त हेलमेट पहनना ही होगा। लिहाजा इस दौरान उन पर अनिवार्य रूप से हेलमेट पहनने का फरमान थोपना प्रशासन की मनमानी दर्शाता है।'

मिश्रा ने यह भी दलील दी कि अगर पेट्रोल पम्प मालिक वाहन चालकों के सामने अनिवार्य शर्त रखते हैं कि वे ईंधन भराते वक्त अनिवार्य रूप से हेलमेट पहनें तो यह आवश्यक वस्तु अधिनियम के उल्लंघन की श्रेणी में आता है। इस बीच, 'हेलमेट नहीं तो पेट्रोल नहीं' के फरमान को उच्च न्यायालय में चुनौती दिए जाने के बाद जिला प्रशासन ने अपना यह विवादास्पद आदेश 6 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया है। अपर कलेक्टर दिलीप कुमार ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि प्रशासन वाहन चालकों को हेलमेट पहनने को प्रेरित करने के लिये अभियान चलायेगा।

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