भोपाल। प्रदेश के 50 हजार कार्यभारित कर्मचारियों को दो क्रमोन्नति का लाभ दिलाने मप्र राज्य कर्मचारी संघ ने शासन के विरुद्घ हाईकोर्ट जबलपुर में रिट पिटीशन दायर कर दी है। उधर, सरकारी वकील समदर्शी तिवारी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए शासन को कोर्ट के बाहर ही समझौता करने की सलाह दी है।
कार्यभारित कर्मचारी लंबे अरसे से सेवाकाल में दो क्रमोन्नति की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर राज्य कर्मचारी संघ ने कई बार मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा, लेकिन सरकार उन्हें इसका लाभ देने को तैयार नहीं है। इससे नाराज संघ ने जबलपुर हाईकोर्ट में रिट पिटीशन लगाई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में 27 मार्च को शासन से जवाब मांगा था, जो पेश नहीं किया गया। अब शासन को अगली पेशी में जवाब पेश करना होगा। कार्यभारित में वाहन चालक सहित 50 से अधिक केडर हैं।
वाहन चालकों को बनाया आधार
कार्यभारित कर्मचारियों में अभी सिर्फ वाहन चालक केडर को दो क्रमोन्नति का लाभ मिल रहा है। यह फैसला एक अप्रैल 2006 से लागू किया गया है। संघ ने इसी को आधार बनाकर कार्यभारित कर्मचारियों के हित में न्यायिक लड़ाई शुरू कर दी है। राज्य के कर्मचारियों को छठा वेतनमान देने के लिए गठित अग्रवाल आयोग ने कार्यभारित को यह लाभ देने की अनुशंसा की थी। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी एक सभा में यह घोषणा की थी।
सीएस ने लिखा विभाग प्रमुखों को पत्र
सरकारी वकील के पत्र के बाद मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा ने एसीएस वित्त, प्रमुख सचिव पीएचई, जीएडी, पीडब्ल्यूडी और जल संसाधन विभाग को पत्र लिखकर समय-सीमा में आवश्यक कार्यवाही करने को कहा है।
बाहर समझौता क्यों?
बताया जा रहा है कि कोर्ट का निर्णय आने से पहले सरकार क्रमोन्नति देने का आदेश जारी कर देती है, तो कर्मचारियों को एरियर्स नहीं देना पड़ेगा और कोर्ट के निर्णय के बाद यह लाभ दिया जाता है, तो करोड़ों का एरियर्स देना होगा। अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों के मामले में ऐसा हो चुका है।
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कार्यभारित कर्मचारियों को क्रमोन्नति का लाभ दिलाने के लिए हाईकोर्ट में रिट पिटीशन लगाई है। पहली सुनवाई पर शासन का जबाव पेश नहीं हुआ है। हालांकि सरकारी वकील ने शासन को कोर्ट के बाहर समझौता करने की सलाह दी है।
रमेशचंद्र शर्मा, महामंत्री, मप्र राज्य कर्मचारी संघ