आनंद ताम्रकार/बालाघाट। चेक बाउंस होने के मामले में वारासिवनी के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंण्डाधिकारी श्री भू भास्कर यादव द्वारा आरोपी मिलिंद भालाधरे पिता रामचरण भालाधरे ग्राम वारा को 1 वर्ष के कठोर कारावास एवं 2,75,000 रू. के अर्थदण्ड की सजा सुनाई अर्थदण्ड का भुगतान ना किये जाने पर 3 माह के साधारण कारावास को प्रथक से भुगतने का आदेश पारित किया।
मामले की सुनवाई के दौरान आये तथ्यों के आधार पर मिलिंद भालाधरे जमीन खरीदी बिक्री की दलाली करता है उसने ग्राम वारा के शिवधाम मोहल्ला निवासी यमुनाबाई पति ईश्वरी टेकाम की भूमि 5 लाख रू. एकड के भाव से बेचने का सौदा वारासिवनी निवासी सुनिल अरोरा के साथ किया था। सौदे के अनुसार सुनिल अरोरा द्वारा उसे जनवरी 2014 के दुसरे सप्ताह 2,20,000 की राशि बतौर बयाना मिलिंद भालाधरे को दी थी। मिलिंद भलाधरे ने शीघ्र ही रजिस्ट्री कराने का आशवासन दिया था लेकिन जब नियत समायावधि में रजिस्ट्री नही करवायी तो सुनिल अरोरा ने भुमि स्वामि यमुनाबाई से मुलाकात की और रजिस्ट्री के संबंध में चर्चा की तो भूमि स्वामी ने जमीन बेचने और किसी भी प्रकार से किये गये लेनदेन से इंकार कर दिया।
इसके बाद सुनिल अरोरा ने मिलिंद भालाधरे को भुमि स्वामी से हुई चर्चा से अवगत कराते हुये उससे सौदे के बयाना के रूप में उसको दिये 2,20,000 की रकम मांगी जिस पर आरोपी मिलिंद भालाधरे ने 2,20,000 का एक चेक दि. 14 मार्च 2014 का दिया जिसे सुनिल ने महाराष्ट बैक वारासिवनी के अपने खाते में 4 अप्रेल 2014 को जमा किया लेकिन चेक बाउंस हो गया जिसके बाद सुनिल ने 7 अप्रेल 2014 को मिलिंद भालाधरे को सुचना देकर चेक की राशि का भुगतान करने को कहा लेकिन मिलिंद ने भुगतान नही किया इसके बाद धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के तहत प्रस्तुत किया।
सुनवाई के दौरान यह भी पता चला की मिलिंध भालाधरे द्वारा जो चेक सुनिल को दिया गया था वह चेक जिला सहकारी केन्द्रीय बैक वारासिवनी में सिध्दार्थ अनुसुचित जाति काष्ट कला समिति के नाम पर खोले गये खाते का था तथा यह खाता भी अभियुक्त मिलिंद भालाधरे एवं हाथकरघा के सहायक संचालक के नाम संयुक्त नाम से एक बचत खाते में खुलवाया गया था जो दोनो के संयुक्त हस्ताक्षर से जारी होता। मामले मे सुनवाई के दौरान अभियुक्त के जमानतदार मंगरूलाल पिता रामसिंग ने न्यायालय में उपस्थित होकर न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित होकर यह शिकायत की कि अभियुक्त ने उसकी भु अधिकार पुस्तिका अपने पास रख ली है उसे वापस नही लौटा रहा है।
इस बात पर अभियुक्त ने जमानतदार को न्यायालय के समक्ष ही धक्का देकर बाहर निकालने का प्रयास किया लंेकिन फैसला सुनाये जाने के पूर्व जमानतदार को भु अधिकार पुस्तिका वापस कर दी। इन सभी घटनाओं को दष्टिगत रखते हुये माननीय न्यायाधीश ने अपने निर्णय में लिखा है कि अभियुक्त बहुत चालाक किस्म का एवं भु माफिया प्रतित हो रहा है ऐसे व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की दया दिखाना उचित नही है। न्यायालय दारा अपने फैसले में यह भी लिखा है कि चेक की राशि क्षतिपूर्ति स्वरूप कुछ ब्याज तथा परिवाद का व्यय परिवादी को मिलना चाहिये इसलिये 357 (1) द.प्र.स. के प्रावधान के अनुसार अर्थदण्ड वसूल हो जाने की दशा में 2,50,000 रू. सुनिल अरोरा को प्रादन किया जाये।