राजेश चौधरी/नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार कि यह ड्यूटी है कि उसके आदेश का पालन हो। कोर्ट को बताया गया कि उसके आदेश के बावजूद दिल्ली में शादी रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड मांगा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में दिए अपने अंतरिम आदेश में कहा था क़ि किसी भी सरकारी योजना के लिए आधार की अनिवार्यता नहीं होगी।
याचिकाकर्ता ने कहा क़ि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कुछ राज्य आधार कार्ड को कई सरकारी सेवाओं के लिए जरूरी कर रहे हैं, जैसे दिल्ली के रेवेन्यू डिपार्टमेंट में आधार कार्ड को जरूरी किया गया है। शादी के रजिस्ट्रेशन आदि में आधार कार्ड मांगा जा रहा है। दिल्ली सरकार ने 9 मार्च को ही इस बारे में ऑर्डर निकाला था। याचिकाकर्ता के वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि लड़का-लड़की शादी रजिस्टर्ड कराने गए, तब उनसे आधार कार्ड मांगा गया। इस पर कोर्ट ने पूछा लव मैरिज था या अरेंज्ड। वकील ने कहा कि वे स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी रजिस्टर्ड कराने गए थे।
जस्टिस जे. चेलेमेश्वर ने कहा कि साउथ के राज्यों में उन्होंने पाया है कि सम्बंधित अथॉरिटी द्वारा आधार कार्ड मांगा जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि कुछ राज्य ऐसा कर रहे हैं। केंद्र उनको लेटर लिख रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ अथॉरिटी आधार मांग रही है। वे किसी विशेष मामले में नहीं जाना चाहते। केंद्र की ड्यूटी है कि वह अदालत के आदेश का पालन सुनिश्चित करे। आप यह नहीं कह सकते कि राज्य आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। केंद्र सरकार राज्य सरकारों को लिखित निर्देश दे कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का पालन करें।
23 सितम्बर 2013 को दिए गए अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महज आधार कार्ड न होने के चलते किसी को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित नहीं किया जा सकता। मामले की अंतिम सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह में होगी। 2 फरवरी को आधार कार्ड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि कोर्ट की रोक के बावजूद सरकार परोक्ष रूप से इसे कई सर्विस के लिए अनिवार्य कर रही है।